स्वयंसिद्धा मध्यप्रदेश महिला संदर्भ •ा लो•ार्पण
स्वयंसिद्धा मध्यप्रदेश महिला संदर्भ •ा लो•ार्पण
भेपाल। पिछले दिनों नारी शक्ति पर ए•ाग्र संदर्भ ग्रंथ स्वयंसिद्धा मप्र महिला संदर्भ •ा लो•ार्पण मध्यप्रदेश •े मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने टीटीटीआई •े राजीव गांधी सभागार में •िया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने संबोधित •रते हुए •हा, •ि बेटा और बेटी में भेदभाव •े पीछे सिर्फ पुरुष प्रधान मानसि•ता है। इस सोच •ो बदलना होगा। जब त• नारी शक्ति •ो यथोचित सम्मान और स्थान नहीं मिलेगा , तब त• देश और प्रदेश वि•ास नहीं •र स•ता। मुख्यमंत्री ने •हा, •ि आज बेटियों •ी संख्या गांवों से •म शहरों में, गरीबों से •म अमीरों में और निरक्षरों से •म साक्षरों में है। इस•ा •ारण बेटियों •ो बोझ मानने •ी मानसि•ता है, जब•ि नारियां क्षमता , जीवटता और सं•ल्पबद्धता में पुरुषों से •हीं आगे है। इसलिए नारी शक्ति •ो •म •र•े नहीं आं•ें। दहेज प्रथा सभ्य समाज •े लिए घृणित •लं• है और भ्रूण हत्या सबसे बड़ा पाप है। प्रदेश सर•ार ने बेटियों •ो वरदान बनाने •े लिए •ई योजनाएं बनाई है। उन्होंने •हा, •ि समाज •ी मानसि•ता बदलने में स्वयंसिद्धा ए• महत्वपूर्ण प्रयास सिद्ध होगी।
•ार्य•्रम •ी अध्यक्ष पूर्व मुख्य सचिव निर्मला बुच ने •हा, •ि महिलाओं •े साथ सबसे बड़ा न्याय उन्हें अपनी पहचान बनाने देना होगा। उन्हें बराबरी •ा इंसान माने तथा पूरा मौ•ा और सहयोग दें। महिलाओं •ी सुरक्षा •ी व्यवस्था •र उन्हें आगे बढ़ायें। मध्यप्रदेश इस दिशा में पहल •रने वाला अग्रणी राज्य होगा। •ार्य•्रम में एशिया •ी पहली ट्र• ड्रायवर श्रीमती पार्वती आर्य ने अपने अनुभव सुनायें। देशबन्धु •म्युनि•ेशन्स द्वारा प्र•ाशित इस संदर्भ ग्रंथ •े बारे में पलाश सुनजन ने जान•ारी दी। •ार्य•्रम में यशस्वी ने बेटी बचाओं अभियान पर •ेंद्रित गीत प्रस्तुत •िया और आभार प्रदर्शन रूबी सर•ार ने •िया।
स्वयंसिद्धा मध्यप्रदेश महिला संदर्भ का लोकार्पण शनिवार 31 मार्च, 2012 को भोपाल स्थित राष्ट्रीय तकनीकी शिक्षण प्रशिक्षण संस्थान, श्यामला हिल्स के राजीव गांधी सभागार में प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्ष के रूप में प्रदेश की पूर्व मुख्य सचिव निर्मला बुच उपस्थित थी। इस पुस्तक में मध्यप्रदेश से जुड़ी वे महिलाएं शामिल हैं, जिन्होंने पुरुषार्थ के बल पर अपने-अपने क्षेत्रों में मुकाम हासिल की है। इनमें इतिहास को गौरवान्वित करने वाली रानी लक्ष्मीबाई, रानी दुर्गावती और सुभद्रा कुमारी चौहान जैसी महिलाओं के साथ-साथ अपने संघर्ष के बल पर राजनीति के शिखर पर पहुंचने वाली महिलाएंं भी शामिल हैं। इसके अलावा पंचायती राज, कला, पत्रकारिता, खेल, शिक्षा, संस्कृति, साहित्यक क्षेत्रों की महिलाओं का विवरण भी हैं।