Friday, May 18, 2012
Monday, May 7, 2012
Thursday, May 3, 2012
दिल्ली में प्रभावी टीकाकरण पर देश भर के मीडिया संपादकों का मंथन एक-तिहाई बच्चे नियमित टीकाकरण से वंचित
भोपाल। देश में नियमित टीकाकरण को प्रभावी बनाने के उद्देश्य से पिछले दिनों नई दिल्ली में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्रू) और यूनिसेफ द्वारा आयोजित मंथन में मीडियाकर्मियोंं, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के उपायुक्त अजय खेरा एवं यूनिसेफ प्रमुख कैरोलिन डेन ड्यूक ने अपनी- अपनी राय रखी।
वर्ष 2012-13 को टीकाकरण वर्ष घोषित करने के औचित्य पर प्रकाश डालते हुए श्री खेरा ने कहा, कि भारत में प्रतिवर्ष ढाई करोड़ से भी ज्यादा बच्चे पैदा होते हैं और इनमें एक तिहाई बच्चे नियमित टीकाकरण पूरा नहीं करते हैं। नियमित टीकाकरण के प्रति लोगों को जागरूक बनाने में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका है। बीबीसी के भारत प्रमुख रहे वरिष्ठ पत्रकार मार्क टुली ने कहा, कि रोग से पहले उपचार के लिए टीकाकरण जरूरी है। भारत के दूरदराज गांव में इस बात को पहुंचाने के लिए रेडियो सबसे ज्यादा प्रभावशाली माध्यम है। आऊटलुक के पूर्व संपादक और पत्रकारिता के पुरोधा विनोद मेहता ने स्वास्थ्य रिर्पोटिंग के लिए आसान शब्दों के प्रसार पर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा, कि अक्सर स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों को अक्सर जटिल तरीके से संप्रेषित किया जाता है। आम लोगों तक नियमित टीकाकरण की आवश्यकता को समझाने के लिए संवाद सरल होना चाहिए। उन्होंने विज्ञापन रणनीति को प्रभावी बनाने के लिए मुख्यमंत्रियों और अन्य लोकप्रिय चेहरों के इस्तेमाल पर जोर दिया।
यूनिसेफ प्रमुख कैरोलिन डेन डॅयूक ने टीकाकरण पर चर्चा की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा, कि जानकारी के अंतराल को पाटने में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका है। वहीं शिक्षा के अधिकार का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए इग्रू के सौनान्द ने इस अभियान में शामिल होने का औचित्य पर प्रकाश डाला। जी न्यूज के कार्यकारी संपादक सतीश के. सिंह ने टीकाकरण अभियान को मौलिक अधिकार बनाने पर जोर दिया।
एनडीटीवी की निधि कुलपति, नवभारत टाइम्स के रामकृपाल सिंह और दैनिक हिन्दुस्तान के स्थानीय संपादक प्रताप सोमवंशी एएनएम और आशा कार्यकर्ताओं के कार्यों पर ध्यान रखने और चैनल्स में विशेष कार्यक्रम प्रस्तुति की बात रखी। उर्दू मीडिया के आलमगीर ने टीकाकरण के लिए प्रेरित करने में उर्दू मीडिया की अहमियत पर प्रकाश डाला।
टाइम्स ऑफ इण्डिया के स्वास्थ्य संपादक कौन्तेय सिन्हा ने सूचना के प्रवाह के लिए सकारात्मक खबरों पर बल दिये जाने की बात कही। वहीं हिन्दुस्तान टाइम्स की स्वास्थ्य संपादक संचिता शर्मा ने कहा, कि विवादों और नकारात्मक खबरों को मीडिया में बड़ा अवसर के रूप में देखे जाने की बात की। जबकि प्राथमिकता के तौर पर बच्चे का स्वास्थ्य मीडियाकर्मियों के लिए महत्वपूर्ण होना चाहिए। स्तम्भलेखिका नीरजा चौधरी ने स्वास्थ्य को मीडिया के एजेण्डे में प्रमुख रूप से शामिल करने पर जोर दिया।
वहीं आज तक के संपादक क्यू. वी. न$कवी ने टीकाकरण के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने हेतु आकर्षक नारा गढऩे पर जोर दिया। यूनिसेफ के स्वास्थ्य प्रमुख डॉ. हेनरी वैन उेन हेमबर्घ ने कहा, कि नियमित टीकाकरण लोगों की दिनचर्या में शामिल हो और मीडिया मांग पक्ष की आवाज बने। तब अपने-आप सप्लाई पक्ष को मजबूत होना पड़ेगा।
फोटो कैप्सन
नियमित टीकाकरण पर आयोजित संपादकों के विचार मंथन में रूबी सरकार को सम्मानित किया गया। चित्र में सुश्री सरकार बीबीसी के पूर्व भारत प्रमुख मार्क टुली के हाथों सम्मान ग्रहण करती हुईं, साथ में आऊटलुक के संपादक विनोद मेहता एवं यूनिसेफ की संचार अधिकारी सोनिया सरकार ।
उल्लेखनीय है, कि महिलाओं और बच्चों के मुद्दों पर सुश्री सरकार के रिपोर्ताज सरकारी और गैरसरकारी दोनों ही क्षेत्रों में सराहे जाते हैं।
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