दलितों की हिमाकत पर निशाना बने अग्निवेश
सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश को दलितों की हिमाकत करने पर आज तथाकथित हिंदूवादी संगठन संस्कृति बचाओ मंच के कार्यकर्ताओं का कोपभाजन बनना पड़ा। इन कार्यकर्ताओं ने अग्निवेश के खिलाफ नारेबाजी करते हुए उनसे बदसलूकी की। मैला मुक्ति यात्रा की शुरुआत के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए थे। प्रदेश कांग्रेस ने अग्निवेश के साथ इस व्यवहार की निंदा की है। कार्यक्रम खत्म होते ही संस्कृति बचाओ के कार्यकर्ताओं ने अग्निवेश का घेराव कर लिया और उनके खिलाफ नारेबाजी की। कार्यकर्ता इतने गुस्से में थे कि उन्होंने अग्निवेश के शरीर पर लिपटे शाल तक छीन लिया।
कार्यकर्ताओं का आरेाप था कि अग्निवेश लगातार हिंदू धर्म आराध्य के खिलाफ टिप्पणी कर रहे हैं, इतना ही नहीं वे नक्सलियों का साथ भी दे रहे हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लडऩे वाले अन्ना हजारे को भी नुकसान पहुंचाया। इस लिहाज से इन्हें गेरुआ वस्त्र पहनने का अधिकार नहीं है। वहीं इन कार्यकर्ताओं के विरोध के बीच अग्निवेश शांत खड़े रहे और किसी तरह का प्रतिकार तक नहीं किया। बाद में उन्होंने इतना जरुर कहा कि वे दयानंद व अम्बेडकर की विचारधारा के समर्थक हैं, लिहाजा जन्म के आधार पर कर्म तय नहीं होना चाहिए।
इससे पूर्व कार्यक्रम में स्वामी अग्निवेश ने कार्यक्रम में जुटे दलितों को आव्हान किया कि वह स्वयं को कमजोर ना समझे। अपनी गरिमा और शक्ति को पहचाने। उन्होंने वाल्मीकी समाज की महिलाओं में चेतना जागृत करने वाली मंदसौर जिले की महिला लाली बाई के प्रयासों का अभिनंदन करते हुए सार्वजनिक रूप से चरण भी छुए। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने संन्यास लिया तो यह शपथ ली थी कि वे किसी के पैर न छुएंगे न छूने देंगे। वे केवल अपनी माँ के पैर छूते थे। लेकिन अब वे लाली बाई के पैर छू रहे हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश को दलितों की हिमाकत करने पर आज तथाकथित हिंदूवादी संगठन संस्कृति बचाओ मंच के कार्यकर्ताओं का कोपभाजन बनना पड़ा। इन कार्यकर्ताओं ने अग्निवेश के खिलाफ नारेबाजी करते हुए उनसे बदसलूकी की। मैला मुक्ति यात्रा की शुरुआत के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए थे। प्रदेश कांग्रेस ने अग्निवेश के साथ इस व्यवहार की निंदा की है। कार्यक्रम खत्म होते ही संस्कृति बचाओ के कार्यकर्ताओं ने अग्निवेश का घेराव कर लिया और उनके खिलाफ नारेबाजी की। कार्यकर्ता इतने गुस्से में थे कि उन्होंने अग्निवेश के शरीर पर लिपटे शाल तक छीन लिया।
कार्यकर्ताओं का आरेाप था कि अग्निवेश लगातार हिंदू धर्म आराध्य के खिलाफ टिप्पणी कर रहे हैं, इतना ही नहीं वे नक्सलियों का साथ भी दे रहे हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लडऩे वाले अन्ना हजारे को भी नुकसान पहुंचाया। इस लिहाज से इन्हें गेरुआ वस्त्र पहनने का अधिकार नहीं है। वहीं इन कार्यकर्ताओं के विरोध के बीच अग्निवेश शांत खड़े रहे और किसी तरह का प्रतिकार तक नहीं किया। बाद में उन्होंने इतना जरुर कहा कि वे दयानंद व अम्बेडकर की विचारधारा के समर्थक हैं, लिहाजा जन्म के आधार पर कर्म तय नहीं होना चाहिए।
इससे पूर्व कार्यक्रम में स्वामी अग्निवेश ने कार्यक्रम में जुटे दलितों को आव्हान किया कि वह स्वयं को कमजोर ना समझे। अपनी गरिमा और शक्ति को पहचाने। उन्होंने वाल्मीकी समाज की महिलाओं में चेतना जागृत करने वाली मंदसौर जिले की महिला लाली बाई के प्रयासों का अभिनंदन करते हुए सार्वजनिक रूप से चरण भी छुए। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने संन्यास लिया तो यह शपथ ली थी कि वे किसी के पैर न छुएंगे न छूने देंगे। वे केवल अपनी माँ के पैर छूते थे। लेकिन अब वे लाली बाई के पैर छू रहे हैं।