Thursday, December 22, 2011
सुरीली विरासत की धनी कलापिनी
पूर्णत. मौलिक-मधुर और दमदार आवाज की धनी कलापिनी का जन्म 12 मार्च को देवास में हुआ। कुछ बिरले सौभाग्यशाली लोगों में से एक कलापिनी को पंडित कुमार गंधर्व एवं विदुषी वसुन्धरा कोमकली जैसे माता-पिता गुरु के रूप में मिले, जिनसे उन्होंने संगीत का ज्ञान, तकनीक और व्याकरण विरासत में पाया। विशेष बात यह है, कि अपने गुरु के सान्निध्य में संगीत पाठ के दौरान उन्होंने मनन और सृजन का माद्दा भी हासिल किया। स्वरों की विस्तृत परिधी भावों को दर्शाने में पूर्ण सक्षम कलापिनी के गायन में ग्वालियर घराने की व्यक्तिगत छाप झलकती है।
कलापिनी के रागों और बंदिशों का संग्रह मालवा अंचल की लोक धुनों और विभिन्न संतों के सगुण-निर्गुण भजनों से और भी अधिक समृद्ध हुआ है। पिछले एक दशक में वे एक प्रखर और संवेदनशील गायिका के रूप में उभरी हैं। उनकी प्रस्तुतियों में आत्मविश्वास, परिपक्वता है और एक सधी हुई कलाकार का सोच भी है। कला के उत्थान के प्रति समर्पित कलापिनी देवास में संगीत उत्सवों का आयोजन करती हैं, ताकि गायक, युवा कलाकार और विद्वतजनों का समागम संभव हो। अपनी सांगीतिक समझ और अध्येता भाव के कारण कलापिनी जैसी परिपक्व आवाज की धनी गायिका युवा पीढ़ी में भारतीय शास्त्रीय संगीत पर अपने व्याख्यान प्रदशर्नों (लेक्चर डेमोन्स्ट्रेशन्स) के लिये काफी लोकप्रिय हैं। कुमार गंधर्व संगीत अकादमी की वे सक्रिय न्यासी हैं।
भारत सरकार के संस्कृति विभाग की छात्रवृत्ती उन्हें प्राप्त है। संगीत के प्रति उनकी तमाम कोशिशों को देखते हुए पुणे स्थित श्रीराम पुजारी प्रतिष्ठान ने उन्हें कुमार गंधर्व पुरस्कार से सम्मानित किया है।
आरंभ और इनहेरिटेंट शीर्षक से एच.एम.वी. द्वारा व्यावसायिक तौर पर जारी उनकी दो स्टुडियो रेकॉर्डिंग हैं। इसी तरह हाल ही में धरोहर शीर्षक से टाइम्स म्यूजिक ने रेकार्ड जारी •िया है। स्वर मंजरी में उनकी एक पूरी संगीत सभा है, जो वर्जिन रेकॉर्डस की ताजातरीन प्रस्तुति है। कलापिनी ने पहेली और देवी अहिल्याबाई फिल्मों के साउण्डट्रेक में भी अपनी आवाज दर्ज कराई है। कलापिनी सिडनी और मेलबोर्न में स्प्रीट आॅफ इण्डिया, कीन्सलैण्ड आॅफ म्यूजिक फेस्टिवल, बिस्बन (आॅस्टे्रलिया), सवाई गंधर्व फेस्टिवल, पुणे, देज़ आॅफ दिल्ली मास्को (रूस),अली अकबर खान म्यूजिक अकादमी बसेल (स्विट्ज़रलैण्ड),सुर संगम दुबई के साथ ही देश के सभी प्रमुख प्रतिष्ठित संगीत समारोह में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा चुकी हैं। उनके विषयगत संगीत में गीत वर्षा, आई बदरिया, गीत वसंत, आयो बसंत, सगुण-निर्गुण भजन, निर्गुण गान, मालवा की लोकधुन और गंधर्व सुर प्रमुख हैं।
उपलब्धियां:
1- श्रीराम पुजारी प्रतिष्ठान, पुणे द्वारा कुमार गंधर्व पुरस्कार
2- एचएमवी द्वारा आरंभ और इनहेरिटेंट रेकार्ड, टाइम्स म्यूजिक द्वारा धरोहर और वर्जिन रिकार्ड्स द्वारा स्वर मंजरी रेकार्ड जारी
3- फिल्म पहेली और देवी अहिल्या के लिए साउंड ट्रैक
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