अजब-गजब मध्यप्रदेश दलित संरपंच की जानकारी के बगैर गांव के दबंग निकाल रहे पैसे
सरपंच पहुंचीं विधानसभा ,परिसर में लगाई दबंगों से जान बचाने की गुहार
रूबी सरकार
मध्यप्रदेश में कानून व्यवस्था की हालत यह है, कि मुरैना जिले की छिनवरा पंचायत की सरपंच शीला जाटव विधानसभा परिसर में घूम-घूमकर अपने साथ हुए अन्याय के खिलाफ न्याय की गुहार लगा रही थी। उसका कहना है, कि वह विधवा है, उसके 3 बेटे हैं। 10 साल पहले उसके पति का स्वर्गवास हो गया। जब छिनवारा पंचायत दलित महिला के लिए आरक्षित कर दी गई, तो परिवार वालों ने उसे चुनावी मैदान में खड़ा किया। उसने अपने प्रतिद्वंदी से मात्र एक मत से जीत दर्ज की। तब उसे पता नहीं था, कि गांव में सरपंची इतना आसान नहीं है। सरपंच बनने बाद से ही पंचायत सचिव भूपेन्द्र सिंह तोमर और गांव का दबंग रामलखन सिंह सिकरवार उसे प्रताडि़त लगे, वे शीला को रबर स्टेम्प बनाकर रखना चाहते थे, शीला ने कहा, कि दोनों उसे जाति सूचक गालियां देकर, डरा -धमका कर पैसा आहरण करते रहे और इसकी शिकायत शासन ने न करने का दबाव बनाते रहे। जिसके चलते वह पिछले 3 सालों से चुप थी, दबंगों द्वारा उसके बेटे को जान से मारने तथा उसे गांव से बेदखल करने की धमकी दिये जाने से वह काफी भयभीत थी, लेकिन जब उसे पता चला, कि वित्तीय अनियमितताएं व भ्रष्टाचार का खामियाजा उसे भुगतना पड़ेगा, इसके लिए उसे जेल भी जाना पड़ सकता है और शासन द्वारा उससे वसूली भी की जा सकती है, तो वह डर गई और मुरैना कलेक्टर और मुख्य कार्यपालन अधिकारी को 27 फरवरी को शपथ-पत्र के साथ शिकायत की। इसके बाद वह गांव से जान बचाकर अपने रिश्तेदार के यहां आकर रहने लगी। कलेक्टर और मुख्य कार्यपालन अधिकारी को लिखे पत्र में उसने आत्महत्या कर लेने तक की बात की, लेकिन कोई सुनवाई न होते देख वह विधानसभा पहुंचकर मंत्री गोपाल भार्गव के पास दबंगों द्वारा किये गये वित्तीय अनियमितताओं की जांच और अपने जान की सुरक्षा की गुहार लगाई।
शीला ने कहा, कि आज तक पंचायत में उसने न तो जरूरी कागजात पर और न ही बिल-वाउचर्स पर हस्ताक्ष्र किये है। पंचायत की वेबसाइट पर उसका मोबाइल नम्बर भी अपलोड नहीं है, जबकि पंच परमेश्वर की राशि के भुगतान के लिए मोबाइल पर ओटीपी सिस्टम चालू है, जिससे अब सरपंच/सचिव के हस्ताक्षर के बजाय मोबाइल ओटीपी के माध्यम से राशि के भुगतान की प्रक्रिया शुरू हो गई है। पंचायत पोर्टल पर दबंग सिकरवार का मोबाइल नम्बर अंकित है, जबकि पंचायत से उनका कोई लेना-देना नहीं है। यह बहुत बड़ी वित्तीय अनियमितता है।
उसने यह भी कहा, कि मनरेगा योजना एवं पंच परमेश्वर की राशि धोखाधड़ी से निकाल ली जाती है, जबकि कई निर्माण कार्य मौके पर नहीं पाये गये। साथ ही कई निर्माण कार्य पूर्व के ही थे, उस पर साफ-सफाई के नाम पर इनलोगों ने बड़ी र$कम आहरण कर ली है। उसने कहा, कि सीसी रोड, वृक्षारोपण, खेत-तालाब आदि कार्यों की जांच माप पुस्तिका से मिलान कर मौके पर की जानी चाहिए। सरपंच ने बताया, वत्तीय वर्ष 2015 से 2017 तक जिन कार्यों पर राशि खर्च की गई है, उन सभी का भौतिक सत्यापन किया जाना चाहिए। शीला अपनी पीड़ा सुना ही रही थी, कि ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री गोपाल भार्गव सदन से बाहर आये । उन्हें देखते ही वह पैर पकड़कर दबंगों से जान बचाने की गुहार लगाने लगी । हालांकि श्री भार्गव ने दलित महिला सरपंच को उसका ह$क दिलाने की बात कही है। उन्होंने कहा है, कि शिकायत की पूरी जांच की जाएगी और जांच के बाद अगर यह पाया गया, कि किसी ने अनाधिकृत रूप से राशि निकाली है, तो उसके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करवाई और वसूली भी होगी।
इस घटना को राज्य मानवाधिकार आयोग ने गंभीरता से लिया और मुरैना कलेक्टर तथा मुख्य कार्यपालन अधिकारी के साथ ही जिला पंचायत से भी जवाब-तलब किया है।
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