Thursday, June 24, 2010
बच्चों के दिल की धड़कन पलक मुछाल
सम्मोहित कर देने वाली जिसकी मासूम आवाज और अपने जैसे मासूमों की सेवा करना जिसका धर्म है,वह है इंदौर की नन्हीं गायक पलक मुछाल। स्वर कोकिला लता मंगेशकर की उपासक पलक का जन्म 30 मार्च,1992 को इंदौर में एक बहुत ही साधारण परिवार में हुआ। मां श्रीमती अमिता मुछाल परंपरागत भारतीय स्त्री की तरह गृहिणी और पिता श्री राजकुमार मुछाल एक निजी संस्णी और पिता श्री राजकुमार मुछाल एक निजी संस्जकुमार मुछाल एक निजी संस्ी पलक ने इंदौर शहर में घर-घर जाकर गाना गाते हुए एक सप्ताह के भीतर 25,000 रुपए इकट्ठा किये। बस यहीं से समाज सेवा यात्रा शुरू हुई। इसी भाव से उसने इंदौर के ही पांच साल के लोकेश के लिए भी गाया। हृदय रोग से पपपपपपपपपपपपथान के लेखा विभाग में कार्यरत हैं।
पलक के लिए संगीत विचार की अभिव्यक्ति का माध्यम है। उसने चार वर्ष की अल्प आयु में गाना प्रारंभ किया। देशप्रेम की भावना से ओतप्रोत पलक को टेलीविजन और समाचार-पत्रों के माध्यम से जब कारगिल युद्ध की ीड़ित लोकेश के परिवारवालों के पास इतना धन नहीं था कि अपने बच्चे का आॅपरेशन करवा सकें। सहृदय पलक ने स्टेज शोज के माध्यम से लोकेश के आॅपरेशन के लिए धन इकट्ठा किया। इस बीच बैंगलुरू के प्रसिद्ध कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. देवी प्रसाद शेट्टी को टीवी समाचार के जरिए लोकेश की बीमारी के संबंध में जानकारी मिली। पलक की भावना का आदर करते हुए लोकेश का आॅपरेशन बिना कोई फीस लिए करने का प्रस्ताव दे दिया।
इस घटना के बाद तो अनगिनत गरीब बच्चों के माता-पिताओं ने अपने बच्चों के इलाज के लिए पलक के सामने अर्जी दे दी। पलक के गायन में जितनी लय है, उसे ताकत बनाकर वह निरंतर दुनिया के बीमार बच्चों के लिए गा रही है। इंग्लैण्ड, दुबई के साथ ही अनेक देशों के हृदय रोगी बच्चों कोावित परिवारों, उड़ीसा के तूफान पीड़ितों के अलावा इंदौर स्थित ऐतिहासिक राजबाड़े के जीर्णोद्धार के लिए भी प्रस्तुतियां देकर 1.33 लाख रुपयों की सहायता राशि दी है। इसके अलावा वह यौनकर्मियों के 39 बच्चों को गोद लेकर उनकी पर की सीधी बातचीत का प्रसारण किया है। भारत के तत्कालीन राष्टÑपति अब्दुल कलाम से मिलने का भी मौका पलक को मिला है।
लक एक स्टेज शोज में हिन्दी फिल्मों के 15 लोकप्रिय गाने गाती हैं। इनमें
ेंट टेलीविजन की ओर से प्रायोजित केडवेत्रासदी का पता चला तो वह सैनिकों और उनके परिजनों की हालत देखकर बहुत विचलित हुई। उसने सोचा, युद्ध से प्रभावित सैनिकों के परिवारवालों की मदद के लिए अपनी आवाज का इस्तेमाल कर सकती है। अपनी इस सोच पर मात्र छह साल कसाल क क वह इलाज के लिए आर्थिक सहायता प्रदान कर चुकी है। मानो वह समाज सेवा का बीड़ा लेकर ही इस धरती पर आई हो। पलक, पंडिएन. मिश्र से शास्त्रीय संगीत की बारीकियां भी सीख रही हैं। अपनी सेवा के बदले पलक किसी से कुछ नहीं लेती- सिवाय एकत एस.एन. मिश्र से शास्त्रीय संगीत की बारीकियां भी सीख रही हैं। अपनी सेवा के बदले पलक किसी से कुछ नहीं लेती- सिवाय एक
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