Wednesday, July 6, 2011







उड़ान लाइसेंस पाने वाली भारत की पहली महिला ‘आबिदा सुल्तान’
भोपाल रियासत की राजकुमारी आबिदा सुल्तान 28 अगस्त 1913 को पैदा हुर्इं। उनके पिता हमीदुल्लाह खान भोपाल रियासत के अंतिम नवाब थे। आबिदा अपने पिता की बड़ी संतान थी। उनकी परवरिश दादी सुल्तान जहां बेगम ने किया था। आबिदा को भारत की पहली महिला पायलट होेने का गौरव प्राप्त था। 25 जनवरी,1942 को उड़ान लाइसेंस उन्हें मिला था। अपनी दादी के अनुशासन में रहकर बहुत कम उम्र में ही आबिदा सुल्तान कार ड्राइविंग के अलावा घोड़े, पालतू चीतल जैसे जानवरों की सवारी और शूटिंग कौशल में पारंगत हो चुकी थी। उस जमाने में वे बगैर नकाब के कार चलाती थीं। उपमहाद्वीप के मुस्लिम राजनीति में सक्रिय भूमिका अदा करने वाली आबिदा सुल्तान ने अपने पिता हमीदुल्लाह खान के कैबिनेट के अध्यक्ष और मुख्य सचिव की जिम्मेदारी भी संभाली थी। आबिदा पोलो और स्क्वेश जैसे खेलों में भी दिलचस्पी रखती थी। सन् 1949 में वे अखिल भारतीय महिला स्क्वैश की चैंपियन रहीं। आबिदा का निकाह 18 जून, 1926 को कुरवाई के नवाब सरवर अली खान के साथ हुआ। दादी की प्रिय पोती आबिदा पहली बार पिता के उत्तराधिकारी का अनुमोदन प्राप्त करने के लिए अपनी दादी नवाब सुल्तान जहां बेगम के साथ सन् 1926 में लंदन गई थी। देश के विभाजन की उथल-पुथल के बाद सन् 1949 में उन्होंने भारत छोड़ दिया और पाकिस्तान चली गई। आबिदा ने अपना आशियाना कराची में बनाया और अपनी गतिविधियां जारी रखीं। उन्होंने सन् 1954 में संयुक्त राष्टÑ में पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व और सन् 1956 में चीन का दौरा किया। धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र में विश्वास रखने वाली आबिदा सन् 1960 में मार्शल कानून के विरोध में फातिमा जिन्ना- जो मोहम्मद अली जिन्ना की बहन थीं, का साथ दिया था। वे महिला अधिकारों की पक्षधर थीं। जनवरी 1954 में पिता द्वारा भोपाल वापस लौटने की पेशकश को ठुकरा चुकी आबिदा 12 वर्षों तक अपने पिता से दूर रहीं, लेकिन उनकी मृत्यु के समय वे भोपाल आर्इं।
अक्टूबर 2001 तक आबिदा अनेक रोगों से ग्रस्त हो गर्इं। 27 अप्रैल, 2002 को कार्डियक आॅपरेशन के लिए उन्हें शौकत उमर मेमोरियल अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां 11 मई , 2002 को उनका निधन हो गया। उनके पुत्र शहरयार मोहम्मद खान पाकिस्तान में विदेश सचिव रहे हैं।