Saturday, December 1, 2012

दलितों की हिमाकत पर निशाना बने अग्निवेश

दलितों की हिमाकत पर निशाना बने अग्निवेश

सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश को दलितों की हिमाकत करने पर आज तथाकथित हिंदूवादी संगठन संस्कृति बचाओ मंच के कार्यकर्ताओं का कोपभाजन बनना पड़ा। इन कार्यकर्ताओं ने अग्निवेश के खिलाफ नारेबाजी करते हुए उनसे बदसलूकी की। मैला मुक्ति यात्रा की शुरुआत के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए थे। प्रदेश कांग्रेस ने अग्निवेश के साथ इस व्यवहार की निंदा की है। कार्यक्रम खत्म होते ही संस्कृति बचाओ के कार्यकर्ताओं ने अग्निवेश का घेराव कर लिया और उनके खिलाफ नारेबाजी की। कार्यकर्ता इतने गुस्से में थे कि उन्होंने अग्निवेश के शरीर पर लिपटे शाल तक छीन लिया।
कार्यकर्ताओं का आरेाप था कि अग्निवेश लगातार हिंदू धर्म आराध्य के खिलाफ टिप्पणी कर रहे हैं, इतना ही नहीं वे नक्सलियों का साथ भी दे रहे हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लडऩे वाले अन्ना हजारे को भी नुकसान पहुंचाया। इस लिहाज से इन्हें गेरुआ वस्त्र पहनने का अधिकार नहीं है। वहीं इन कार्यकर्ताओं के विरोध के बीच अग्निवेश शांत खड़े रहे और किसी तरह का प्रतिकार तक नहीं किया। बाद में उन्होंने इतना जरुर कहा कि वे दयानंद व अम्बेडकर की विचारधारा के समर्थक हैं, लिहाजा जन्म के आधार पर कर्म तय नहीं होना चाहिए।
इससे पूर्व कार्यक्रम में स्वामी अग्निवेश ने कार्यक्रम में जुटे दलितों को आव्हान किया कि वह स्वयं को कमजोर ना समझे। अपनी गरिमा और शक्ति को पहचाने। उन्होंने वाल्मीकी समाज की महिलाओं में चेतना जागृत करने वाली मंदसौर जिले की महिला लाली बाई के प्रयासों का अभिनंदन करते हुए सार्वजनिक रूप से चरण भी छुए। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने संन्यास लिया तो यह शपथ ली थी कि वे किसी के पैर न छुएंगे न छूने देंगे। वे केवल अपनी  माँ के पैर छूते थे। लेकिन अब वे लाली बाई के पैर छू रहे हैं।

लोग प्यासे , मगर कारखानों को भूजल


Thursday, May 3, 2012


दिल्ली में प्रभावी टीकाकरण पर देश भर के मीडिया संपादकों का मंथन एक-तिहाई बच्चे नियमित टीकाकरण से वंचित


भोपाल। देश में नियमित टीकाकरण को प्रभावी बनाने के उद्देश्य से पिछले दिनों नई दिल्ली में  इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्रू) और यूनिसेफ द्वारा  आयोजित मंथन में मीडियाकर्मियोंं, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के उपायुक्त अजय खेरा एवं यूनिसेफ प्रमुख कैरोलिन डेन ड्यूक ने अपनी- अपनी राय रखी। 
 वर्ष 2012-13 को टीकाकरण वर्ष घोषित करने के औचित्य पर प्रकाश डालते हुए श्री खेरा ने कहा, कि भारत में प्रतिवर्ष ढाई करोड़ से भी ज्यादा बच्चे पैदा होते हैं और इनमें एक तिहाई बच्चे नियमित टीकाकरण पूरा नहीं करते हैं। नियमित टीकाकरण के प्रति लोगों को जागरूक बनाने में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका है। बीबीसी के भारत प्रमुख रहे वरिष्ठ पत्रकार मार्क टुली ने कहा, कि रोग से पहले उपचार के लिए टीकाकरण जरूरी है। भारत के दूरदराज गांव में इस बात को पहुंचाने के लिए रेडियो सबसे ज्यादा प्रभावशाली माध्यम है। आऊटलुक के पूर्व संपादक और पत्रकारिता के पुरोधा विनोद मेहता ने स्वास्थ्य रिर्पोटिंग के लिए आसान शब्दों के प्रसार पर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा, कि अक्सर स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों को अक्सर जटिल तरीके से संप्रेषित किया जाता है। आम लोगों तक नियमित टीकाकरण की आवश्यकता को समझाने के लिए संवाद सरल होना चाहिए। उन्होंने विज्ञापन रणनीति को प्रभावी बनाने के लिए मुख्यमंत्रियों और अन्य लोकप्रिय चेहरों के इस्तेमाल पर जोर दिया।
यूनिसेफ प्रमुख  कैरोलिन डेन डॅयूक ने टीकाकरण पर चर्चा की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा, कि जानकारी के अंतराल को पाटने में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका है। वहीं शिक्षा के अधिकार का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए इग्रू के सौनान्द ने इस अभियान में शामिल होने का औचित्य पर प्रकाश डाला। जी न्यूज के कार्यकारी संपादक सतीश के. सिंह ने टीकाकरण अभियान को मौलिक अधिकार बनाने पर जोर दिया।   
एनडीटीवी की निधि कुलपति, नवभारत टाइम्स के रामकृपाल सिंह और दैनिक हिन्दुस्तान के स्थानीय संपादक प्रताप सोमवंशी एएनएम और आशा कार्यकर्ताओं के कार्यों पर ध्यान रखने और चैनल्स में विशेष कार्यक्रम प्रस्तुति की बात रखी। उर्दू मीडिया के आलमगीर ने टीकाकरण के लिए प्रेरित करने में उर्दू मीडिया की अहमियत पर प्रकाश डाला।
टाइम्स ऑफ इण्डिया के स्वास्थ्य संपादक कौन्तेय सिन्हा ने सूचना के प्रवाह के लिए सकारात्मक खबरों पर बल दिये जाने की बात कही। वहीं हिन्दुस्तान टाइम्स की स्वास्थ्य संपादक संचिता शर्मा ने कहा, कि विवादों और नकारात्मक खबरों को मीडिया में बड़ा अवसर के रूप में देखे जाने की बात की। जबकि प्राथमिकता के तौर पर बच्चे का स्वास्थ्य मीडियाकर्मियों के लिए महत्वपूर्ण होना चाहिए। स्तम्भलेखिका नीरजा चौधरी ने स्वास्थ्य को मीडिया के एजेण्डे में प्रमुख रूप से शामिल करने पर जोर दिया। 
वहीं आज तक के संपादक क्यू. वी. न$कवी ने टीकाकरण के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने हेतु आकर्षक नारा गढऩे पर जोर दिया। यूनिसेफ के स्वास्थ्य प्रमुख डॉ. हेनरी वैन उेन हेमबर्घ ने कहा, कि नियमित टीकाकरण लोगों की दिनचर्या में शामिल हो और मीडिया मांग पक्ष की आवाज बने।  तब अपने-आप सप्लाई पक्ष को मजबूत होना पड़ेगा।

फोटो कैप्सन

नियमित टीकाकरण पर आयोजित संपादकों के विचार मंथन में रूबी सरकार को सम्मानित किया गया। चित्र में सुश्री सरकार बीबीसी के पूर्व भारत प्रमुख मार्क टुली के हाथों सम्मान ग्रहण करती हुईं, साथ में आऊटलुक के संपादक विनोद मेहता एवं यूनिसेफ की संचार अधिकारी सोनिया सरकार ।
उल्लेखनीय है, कि महिलाओं और बच्चों के मुद्दों पर सुश्री सरकार के रिपोर्ताज सरकारी और गैरसरकारी दोनों ही क्षेत्रों में सराहे जाते हैं। 

Thursday, April 12, 2012

स्वयंसिद्धा मध्यप्रदेश महिला संदर्भ •ा लो•ार्पण

स्वयंसिद्धा मध्यप्रदेश महिला संदर्भ •ा लो•ार्पण

स्वयंसिद्धा मध्यप्रदेश महिला संदर्भ •ा लो•ार्पण
भेपाल। पिछले दिनों नारी शक्ति पर ए•ाग्र संदर्भ ग्रंथ स्वयंसिद्धा मप्र महिला संदर्भ •ा लो•ार्पण मध्यप्रदेश •े मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने टीटीटीआई •े राजीव गांधी सभागार में •िया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने संबोधित •रते हुए  •हा, •ि बेटा और बेटी में भेदभाव •े पीछे सिर्फ पुरुष प्रधान मानसि•ता है। इस सोच •ो बदलना होगा। जब त• नारी शक्ति •ो यथोचित सम्मान और स्थान नहीं मिलेगा , तब त• देश और प्रदेश वि•ास नहीं •र स•ता। मुख्यमंत्री ने •हा, •ि आज बेटियों •ी संख्या  गांवों से •म शहरों में, गरीबों से •म अमीरों में और निरक्षरों से •म साक्षरों में है।  इस•ा •ारण बेटियों •ो बोझ मानने •ी मानसि•ता है, जब•ि नारियां क्षमता , जीवटता और सं•ल्पबद्धता में पुरुषों से •हीं आगे है। इसलिए नारी शक्ति •ो •म •र•े नहीं आं•ें। दहेज प्रथा सभ्य समाज •े लिए घृणित •लं• है और भ्रूण हत्या सबसे बड़ा पाप है। प्रदेश सर•ार ने बेटियों •ो वरदान बनाने •े लिए •ई योजनाएं बनाई है। उन्होंने •हा, •ि समाज •ी मानसि•ता बदलने में स्वयंसिद्धा ए• महत्वपूर्ण प्रयास सिद्ध होगी।
•ार्य•्रम •ी अध्यक्ष पूर्व मुख्य सचिव निर्मला बुच ने •हा, •ि महिलाओं •े साथ सबसे बड़ा न्याय उन्हें अपनी पहचान बनाने देना होगा। उन्हें बराबरी •ा इंसान माने तथा पूरा मौ•ा और सहयोग दें। महिलाओं •ी सुरक्षा •ी व्यवस्था •र उन्हें आगे बढ़ायें। मध्यप्रदेश इस दिशा में पहल •रने वाला अग्रणी राज्य होगा। •ार्य•्रम में एशिया •ी पहली ट्र• ड्रायवर श्रीमती पार्वती आर्य ने अपने अनुभव सुनायें। देशबन्धु •म्युनि•ेशन्स द्वारा प्र•ाशित इस संदर्भ ग्रंथ •े बारे में पलाश सुनजन ने जान•ारी दी। •ार्य•्रम में यशस्वी ने बेटी बचाओं अभियान पर •ेंद्रित गीत प्रस्तुत •िया और आभार प्रदर्शन रूबी सर•ार ने •िया। 
 

Monday, April 2, 2012

स्वयंसिद्धा मध्यप्रदेश महिला संदर्भ लोकार्पित



स्वयंसिद्धा मध्यप्रदेश महिला संदर्भ का लोकार्पण शनिवार 31 मार्च, 2012 को भोपाल स्थित राष्ट्रीय तकनीकी शिक्षण प्रशिक्षण संस्थान, श्यामला हिल्स के राजीव गांधी सभागार में प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्ष के रूप में प्रदेश की पूर्व मुख्य सचिव निर्मला बुच उपस्थित थी। इस पुस्तक में मध्यप्रदेश से जुड़ी वे महिलाएं शामिल हैं, जिन्होंने पुरुषार्थ के बल पर अपने-अपने क्षेत्रों में मुकाम हासिल की है। इनमें इतिहास को गौरवान्वित करने वाली रानी लक्ष्मीबाई, रानी दुर्गावती और सुभद्रा कुमारी चौहान जैसी महिलाओं के साथ-साथ अपने संघर्ष के बल पर राजनीति के शिखर पर पहुंचने वाली महिलाएंं भी शामिल हैं। इसके अलावा पंचायती राज, कला, पत्रकारिता, खेल, शिक्षा, संस्कृति, साहित्यक क्षेत्रों की महिलाओं का विवरण भी हैं।