Monday, July 5, 2010


अपनी गवाह खुद मृणाल पाण्डे

वरिष्ठ पत्रकार मृणाल पाण्डे कथाकार, राजनीतिक-सामाजिक, आर्थिक

विश्लेषक के रूप में जानी जाती हैं। प्रतिगामी ताकतों के खिलाफ बेबाक कलम चलाने वाली मृणालजी वर्तमान में प्रसार भारती बोर्ड की अध्यक्ष हैं। लम्बे अर्से से कथा लेखन और पत्रकारिता से जुड़ी मृणाल पाण्डे वामा टाइम्स आॅफ इण्डिया की पत्रिका, साप्ताहिक हिन्दुस्तान और दैनिक हिन्दुस्तान की समूह सम्पादक के अलावा एनडीटीवी और दूरदर्शन में एंकर और समाचार वाचक के पद कार्य कर चुकी हैं । पत्रकारिता के क्षेत्र में बेबाक टिप्पणियों से उन्होंने नया अध्याय रचा और दुनिया को स्त्री पक्ष से देखने के लिए विवश किया। जहां उन्होंने कचरा बीनने, स?िजयां बेचने और घरों में काम करने वाली महिलाओं के पक्ष में कई सवाल उठाए, वहीं दैनिक हिन्दुस्तान अखबार को व्यवसायिक संस्कृति भी दी। उनके पत्रकारिता जीवन की शुरुआत1984 से हुई, जब वे पहली बार वामा पत्रिका की संपादक बनीं। इससे पूर्व उनका रूझान साहित्य की ओर था। मृणाल पाण्डे सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक चुनौतियों की गहराई और समग्रता से पड़ताल कर खूब लिखती हैं। टीवी पर उनकी राजनीतिक टिप्पणी और बातचीत काफी पसंद की जाती है।

मृणालजी का जन्म मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ में 26 फरवरी,1946 को हुआ। लेखन का संस्कार उन्हें अपनी मां और सुविख्यात लेखिका गौरा पंत शिवानी से मिला। उनके पिता सुखदेव पंत शिक्षा विभाग, उ?ार प्रदेश में कार्यरत थे। पिता के असामयिक निधन के बाद चारों भाई-बहन मां के संरक्षण में ही पले। मृणालजी की प्रारंभिक शिक्षा नैनीताल में हुई। उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में दाखिला लिया। जहां उन्होंने संस्कृत, अंग्रेजी साहित्य और प्राचीन भारतीय इतिहास एवं पुरातत्व विषय के साथ स्रातक की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने शास्त्रीय संगीत की औपचारिक शिक्षा के साथ-साथ कारकोरन कॉलेज आॅफ आर्ट एण्ड डिजाइन, वाशिंगटन डीसी से विजुअल आर्ट की उपाधि प्राप्त की। उनकी पहली कहानी प्रतिष्ठित पत्रिका धर्मयुग में तब प्रकाशित हुई जब वे मात्र 21 वर्ष की थी।

1984 में पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखते ही पत्रकार की छवि उनकी साहित्यकार की छवि से बड़ी हो गई। शायद इसलिए अनेक रचनाओं के बाद भी उनके साहित्य का जो मूल्यांकन होना चाहिए था, वह नहीं हो पाया।

हिन्दी में षटरंग पुराण उनका चर्चित उपन्यास है। जिसमें उन्होंने पीढ़ियों के अंतराल और बदलाव की विशेषता को रेखांकित किया है। उनकी कहानियां

पैनी है तथा शिल्प और भाषा की प्रयोगात्मकता इन कहानियों की विशेषता है। इनमें एकल किस्सागोई भी है, और सामूहिक हुंकार भी। मृणाल जी संभवत: अकेली ऐसी महिला पत्रकार हैं, जिसने 25 बरस लगातार संपादक की भूमिका का सर्वप्रथम निर्वाह किया हो।

महज 38 साल की आयु में 1984 में वे वामा पत्रिका की संपादक बनीं और तीन साल तक यह जिम्मेदारी निभाती रहीं। उसके बाद क्रमश: साप्ताहिक हिन्दुस्तान, दैनिक हिन्दुस्तान और आगे चलकर इसी समूह से प्रकाशित होने वाली सभी हिन्दी पत्रिकाओं की वे संपादक बन गर्इं। अनेक विरोधों के बीच अंतत: 31 अगस्त,2009 को वह पद मुक्त हुर्इं और प्रसार भारती के अध्यक्ष का पदभार ग्रहण किया। मृणालजी प्रिन्ट और इलेक्ट्रानिक मीडिया दोनों में सक्रिय हैं। उन्होंने एनडीटीवी और दूरदर्शन में समाचार वाचन एवं एंकरिंग भी की हैं।

े अंग्रेजी में उनकी उपन्यास माई ओन विटनेस इस तय को उजागर करा है, कि किस तरह हिन्दी एवं क्षेत्रीय भाषाई पत्रकारिता अंग्रेजी पत्रकारिता से चोट खाती है। चाहे वह प्रिन्ट मीडिया हो या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया। अपने इस उपन्यास में मृणाल जी ने मीडिया की चकाचौंध के पीछे स्याह पहलू को उजागर किया है। उन्होंने अपने उपन्यास में लिखा है, कि जो सुविधाएं अंग्रेजी माध्यम के पत्रकारों को मुहैया कराई जाती हैं, उसका अंशमात्र ही

हिन्दी एवं अन्य क्षेत्रीय भाषाओें के पत्रकारों को प्राप्त होता है।

इसी कारण प्रोत्साहन के अभाव में हिन्दी पत्रकार योग्य होते हुए भी गुणव?ाा की दृष्टि से पीछे रह जाता है। हिन्दी पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रवेश के साथ ही यह कथा उनके भीतर उबाल खाने लगी थी। उन्हें लगने लगा था कि अपने मानस की शांति के लिए यह कथा उन्हें कहनी ही होगी। यह आत्मकय शैली में रची गई है और उपन्यास में मीडिया के क्षेत्र में महिलाओं के प्रति होने वाले भेदभाव को रेखांकित किया गया है।

मृणालजी कई वर्षों तक महिलाओं के स्वरोजगार आयोग में सदस्य रहीं।

राजस्थान और दिल्ली रा य ने साहित्यक लेखन और पत्रकारिता में उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें सम्मानित किया। मृणाल पाण्डे का दखल बांग्ला, हिन्दी एवं अंग्रेजी साहित्य में बराबरी से पाया जाता है।

मृणाल पाण्डे का विवाह भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी और अर्थशास्त्री अरविंद पाण्डे से हुआ है। रोहिनी और राधिका के रूप में उनकी दो पुत्रियां हैं।

(यह प्रोफाइल मध्य प्रदेश संदर्भ के लिए रूबी सरकार ने लिखी है)

No comments:

Post a Comment