Tuesday, July 6, 2010


कुशल सभा संचालन की सौम्य नेता नजमा हेपतुल्ला
डॉ. नजमा हेपतुल्ला उन राजनीतिज्ञों में से हैं, जिनका व्यक्तित्व बहुत समय तक राजनैतिक मंचों पर हलचल पैदा करता रहा है।
कहना न होगा, कि इसके पीछे उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि, अध्ययन की व्यपकता और वक्तृत्व क्षमता का मुख्य योगदान रहा है। रा%यसभा उपाध्यक्ष के नाते उनका विधि सम्मत और निष्पक्ष सभा संचालन सदस्यों को बहुत प्रभावित करता रहा। इसीलिए उनकी लोकप्रियता दलीय सीमाओं को लांघते हुए सर्वव्यापी हो गई।
नजमा जी स्वाधीनता संग्राम सेनानी, शिक्षाविद् एवं आजाद भारत के प्रथम शिक्षामंत्री मौलाना अबुल कलाम की नवासी हैं। उनका जन्म 13 अप्रैल,1940 को भोपाल में हुआ । उनके पिता सैयद युसूफ अली और मां श्रीमती फातिमा युसूफ अली ने नजमाजी को बचपन से ही उच्च लक्ष्य निर्धारित करने की सीख दी। 1960 में उन्होंने मोतीलाल नेहरू विज्ञान महाविद्यालय (विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन से सम्बद्ध) से एमएससी %युलॉजी प्रथम श्रेणी से उतीर्ण हुईं। विक्रम विश्वविद्यालय से उन्होंने 1962 में %युलॉजी में पीएचडी प्राप्त की। उन्हें आगरा विश्वविद्यालय ने डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की।
7 दिसम्बर,1966 को नजमाजी का निकाह श्री अकबर अली हेपतुल्ला से हुआ। आज वह तीन पुत्रियों की मां हैं।
डॉ हेपतुल्ला 1973 में कांग्रेस से जुड़ी । सौम्य और मिलनसार होने के कारण अन्तर्राष्टÑीय स्तर पर उनका प्रभाव फैलता गया। कुशल नेतृत्व और कार्यक्षमता के बल पर उन्होंने 1980 में पार्टी में युवा गतिविधियों में कई नए आयाम जोड़े। इसी वर्ष महासचिव के पद पर रहते हुए उन्होंने भारतीय राष्टÑीय छात्रसंघ के प्रभारी का दायित्व भी संभाला। 1980 में पहली बार महाराष्टÑ से वे रा%यसभा के लिए चुनी गर्इं और 2004 तक इस सदन की सदस्य रहीं। इतना ही नहीं नजमा जी 1985-86 तथा 1988 से 2004 तक लगातार रा%यसभा की उपसभापति भी निर्वाचित हुर्इं।
उपसभापति पद पर रहते हुए उन्होंने 1993 में अंतर संसदीय संघ के महिला संसदीय समूह की संस्थापक अध्यक्ष बनीं और 16 अक्टूबर ,1999 से 27 सितम्बर, 2002 तक लगातार इस समूह की अध्यक्षता करती रहीं।
डॉ. हेपतुल्ला को इस बीच भारतीय सांस्कृतिक परिषद का प्रमुख भी मनोनीत किया गया । संयुक्त राष्टÑ विकास कार्यक्रम की मानद राजदूत रहीं और उन्होंने 1997 तक संयुक्त राष्टÑ आयोग के महिला समूह के प्रतिनिधिमण्डल का नेतृत्व किया।
उनके अध्ययन और राजनीतिक उपल?िधयों की फेहरिस्त काफी लम्बी है। नजमा जी 1982-96 तक हारवर्ड विश्वविद्यालय के मिडिल ईस्टर्न स्टडीज़ में सलाहकार रहीं। वह लंदन %युलॉजिकल सोसाइटी से जुड़ी हैं। उन्होंने एड्स शीर्षक से एक पुस्तक लिखी, जिसमें मनुष्य के सामाजिक सुरक्षा,स्थायित्व, विकास, पर्यावरण, पश्चिम एशिया और भारतीय महिलाओं के सुधार पर तुलनात्मक अध्ययन जैसे विषय शामिल हैं।
मध्य एशिया से उनका विशेष संबंध रहा। वह इण्डो- अरब सोसाइटी की अध्यक्ष रही हैं। एक कुशल कूटनीतिज्ञ की तरह उन्होंने भारतीय संस्कृति और व्यापार को मध्य एशिया में नये आयाम दिए।
श्रीमती हेपतुल्ला ने 2004 में भारतीय राष्टÑीय कांग्रेस ‘आई’ छोड़कर भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली। कांग्रेस पार्टी छोड़ते समय उन्होंने सोनिया गांधी पर कई आरोप भी लगाए। उन्होंने कहा कि उपराष्टÑपति पद के लिए वह कांग्रेस पार्टी की ओर से चुनाव लड़ना चाहती थी, लेकिन सोनियाजी का कहना था कि चूंकि राष्टÑपति पद पर डॉ. एपीजे अबुल कलाम आसीन है, दोनों उच्च संवैधानिक पदों पर अल्पसंख्यकों का होना ठीक नहीं होगा । सोनिया गांधी के इस निर्णय से वह आहत हुई और
उन्होंने संयुक्त जनतांत्रिक गठबंधन की ओर से हामिद अंसारी के खिलाफ उपराष्टÑपति का चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें मात्र 222 मत ही मिले, जबकि हामिद अंसारी को 455 मत प्राप्त हुए।
नजमा जी का सार्वजनिक जीवन निर्विवाद नहीं रहा। उन पर नवम्बर,2006 में आरोप लगा कि वे भारतीय सांस्कृतिक परिषद के अध्यक्ष पद पर रहते हुए भ्रष्टाचार और आर्थिक अनियमितताएं की है। साथ ही उस समय प्रकाशित ‘जर्नी आॅफ द लीजेंड’ पुस्तक में काफी टेबल पर बैठे शाह इरान और मौलाना अबुल कलाम आजाद के बीच अपनी तस्वीर चस्पा करवाया था। सत्यता की जांच के लिए यह मामला सीबीआई को सौंपा गया था।
इसमें कोई शक नहीं है, कि नजमा जी वैश्विक सांसदों के बीच बहुत प्रभावशाली और लोकप्रिय रहीं उनके बहुत सारे लेख और शोध पत्र भारतीय और विदेशी जर्नल्स में प्रकाशित हुए। उन्होंने भारतीय और विदेशी पत्र-पत्रिकाओं में महिलाएं और सामाजिक विकास से जुड़ी समसामयिक लेखन कार्य किया है। वे द इण्डियन जनरल आॅफ %युलॉजी एटोनॉमी विषयों पर प्रकाशित शोध-पत्रों की सलाहकार समिति व संपादकीय मण्डल में भी रहीं। उन्होंने त्रैमासिक पत्रिका डायलॉग टुडे 1986 में प्रारंभ की, जिसकी वह संपादक और प्रकाशक दोनों रहीं। इसके अलावा इण्डिया प्रोग्रेस साइंस एण्ड टेक्नोलॉजी, कन्टीन्यूटी एण्ड चेंज 1985, इण्डो-वेस्ट एशियन रिलेशन- द नेहरू एरा 1992, रिफार्म फॉर वुमन फ्यूचर आॅफ्शन 1992, इनवॉयरमेंट प्रोडक्शन आॅफ डेवलपमेंट कंट्रीज 1993, ह्युमन सोशल सिक्युरिटी एण्ड सस्टेनेबल डेवलपमेंट1995, और एड्स एप्रोच टू प्रिवेन्सशंस 1996 और डेमोक्रेसी द ग्लोबल प्रोस्पेक्टिव 2004 जैसी अनेक पुस्तक लिखीं।
समाज सेवा और विज्ञान शोध में अग्रणी भूमिका निभाने वाली नजमाजी के साक्षरता, कला और विज्ञान सहित कई विषय विशेष रुचि के हैं। उन्होंने हमेशा विज्ञान संबंधी जानकारी, अन्तर्राष्टÑीय आर्थिक समन्वय, अन्तर्राष्टÑीय समझ, महिलाओं के उत्थान और उनसे संबंधित अन्य विषयों जैसे सद्भाव, मूल्यों, मानव विकास तथा पर्यावरण आदि क्षेत्रों में काम किया है, जिसे अन्तर्राष्टÑीय स्तर पर सराहा भी गया है।
उन्हें मोरक्को का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ग्राण्ड कार्डोन आफ अलवई-अल-वामस’ से मोरक्को के राजा अलालुम वाफ्मम्स ने नवाजा। इजिप्त के राष्ट्रपति हुस्त्रे मुबारक ने भी नजमा जी को अपने देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान प्रदान किया। सेन मेरिनो के कैप्टन रीजेंट ने लोकतंत्र को बढ़ावा देने के लिए उन्हें सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा।
उनकी दिलचस्पी खेल में भी है। बेडमिंटन और स्क्वायश जैसे खेल उन्हें प्रिय है।नजमाजी जिमखाना क्लब दिल्ली, मुंबई प्रेसिडेंसी रेडियो क्लब, मुंबई, इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, दिल्ली, सी रॉक होटल क्लब मुंबई, इंडिया हेबिटाट सेंटर और इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर, नई दिल्ली की सदस्य हैँ।
लिखने-पढ़ने अलावा पत्रकारिता, विभिन्न भाषाओं और विभिन्न देशों के संगीत सुनने में भी वे रुचि रखती हैं। उन्होंने पूरे विश्व की यात्रा की हैं। 4 सितम्बर, 2007 को उन्होंने अपने पति को हमेशा के लिए खो दिया। नजमा जी तीन बेटियों की मां हैं और फिलहाल राजस्थान से रा%यसभा की सदस्य हैं।
(मध्यप्रदेश महिला संदर्भ के लिए रूबी सरकार ने लिखा है)

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