बीज स्वालम्बन को जागरूक हो रहे किसान
रूबी सरकारछिंदवाडा जिले में पानी की कमी से सिंचाई प्रभावित होने की बात किसी से छिपी नहीं है। जहां देश के कई हिस्सों में त्रिस्तरीय खेती और तीन फसलों का लाभ किसानों को मिलता है, वहीं ऊंचाई पर बसाहट के कारण छिंदवाड़ा के अधिकतर किसानों को केवल एक ही फसल से संतोष करना पड़ता हैं। इसी कारण अपनी आजीविका के लिए वे मजदूरी पर निर्भर रहते हैं। बारिश के दिनों को छोड़ दे, तो शेष दिनों में यहां पेयजल के लिए ग्रामीण़ त्राहि-त्राहि करते हैं। साल दर साल यहां का जलस्तर नीचे जा रहा है। ऐसे में गेहूं का पैदावार बढ़ाने की उम्मीद उनसे नहीं की जा सकती । लेकिन किसानेां को इस संकट से उबारने के लिए एक निजी संस्था परमार्थ ने प्रभात परियोजना के तहत छिंदवाड़ा तहसील के कुछ गांवों में गेहूं की नई उन्नत बीज का प्रयोग करने के लिए किसानों को प्रेरित किया। प्रभात का मुख्य मकसद देशी विविधता को बढ़ावा देना था। यह बीज कम पानी वाले क्षेत्रों के लिए बहुत उपयोगी है। इसलिए परमार्थ के सहयोग से यहां के किसानों को गेहूं की खेती के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
प्रभात परियोजना समन्वयक गजानंद डोम बताते हैं, कि गेहूं के लिए करण वंदना नाम से परिचित बीज में अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं पड़ती , केवल दो या तीन बार की सिंचाई इसके लिए काफी होता है। यह बीज इसलिए भी खास है क्योंकि मौजूदा गेहूं के बीज जैसे एचडी 2967, के- 0307, एचडी-2733, के-1006 और डीबीडब्ल्यू-39 की तुलना में इससे पैदावार बहुत अधिक होने की संभावना है। इसकी विशेषता यह है, कि इसमें पत्तों के झुलसने और उनके अस्वस्थ होने जैसी बीमारियों के खिलाफ दूसरे बीजों की किस्म से बेहतर प्रतिरोध क्षमता है। बुवाई के 77 दिनों बाद करण वंदना फूल देने लगती है और 120 दिनों बाद परिपक्व हो जाती है। इसकी औसत ऊंचाई 100 सेन्टीमीटर तक देखी गई है ,जबकि क्षमता लगभग 70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। भरपूर पोषक तत्वों वाले इस गेहूं की रोटी की गुणवत्ता पर कृषि वैज्ञानिकों ने मोहर लगाई है।
सहायक परियोजना समन्वयक चण्डीप्रसाद पाण्डेय ने बताया, कि यहां के किसान सोयाबीन की फसल के अलावा अन्य फसलों के उत्पादन पर भरोसा नहीं कर पातेे है। इस बार सोयाबीन की फसल भी कीड़े लगने से बर्बाद हुआ है। इसके अलावा अन्य फसलों में लागत ज्यादा और उत्पादन कम मिलता है। क्षेत्र में पानी की कमी को देखते हुए इनलोगों को ऐसे बीज की जरूरत थी, जिसे कम पानी की जरूरत पड़े और पैदावार अच्छी हो। जब करण वंदना गेहूं के बीज के बारे में जानकारी मिली, तो भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान से प्रयोग के तौर पर इस्तेमाल के लिए इसे खरीदा और किसानों को प्रयोग के तौर पर ही एक एकड़ जमीन पर इसे बोने के लिए प्रेरित किया । छिंदवाड़ा तहसील के तकरीबन 12 गांवों क्रमशः-मेढ़कीताल, पिपरिया बिरसा , रामगढ़ी, सरना, सिवनी मेघा, बेनगांव, खेरीभ्ुातई, मल्हानवाड़ा, अटरवाड़ा, मरई , सुरगी और सहजपुरी के लगभग 145 किसानों को यह बीज मुफ्त दिया गया, जिससे वे इस बीज से और अधिक बीज बना सके। बीज को संरक्षित करने के लिए गांव-गांव में बीज बैंक बनाया गया है, इसे संचालित करने के लिए गांव-गांव में समिति का गठन किया गया है। इन्हीं की देख-रेख मंे बीजों का आदान-प्रदान होगा। इसका उद्देश्य भविष्य में किसानों को बाजार से बीज न खरीदना पड़े तथा वे बीज स्वालम्बन की ओर आगे बढ़े। उन्होंने कहा, कि बोवाई से पहले प्रभात द्वारा कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञों द्वारा इनका मार्गदर्शन किया गया। उन्हीं के सहयोग से किसानों की जमीन का उपचार कराया गया, जमीन से खरपतवार की सफाई की गई और उसमें देशी गोबर डलवाया गया। इसके बाद नवम्बर माह में इसकी बोवाई शुरू हुई ।
बोवाई के दौरान एक निश्चित दूरी का ध्यान रखा गया। इसके लिए खेत के चारों छोर पर दो मीटर की खाली जमीन छोड़ी गई, जिससे अन्य पौधों से गेहूं को नुकसान न हो। इसके अलावा श्री विधि का प्रयोग करते हुए लाईनों के बीच 6 इंच और पौधे से पौधे की 4 इंच की दूरी सुनिश्चित की गई। जिससे पौधों केा फैलने और ऊ ंचाई में मुश्किल न आये।
बीज को लोकप्रिय बनाने और बढ़ावा देने के लिए मेढ़कीताल के किसान केशवराम टेकरे ने प्रदर्शन के लिए अपने एक एकड़ जमीन पर इसे बोया है। उन्होंने कहा, कि किसानों को बीज उपलब्ध कराने के उद्देश्य से वे प्रयोग कर रहे हैं । भविष्य में यह बीज किसानों को सरकार द्वारा तय किये गये दरों के आधार पर बीज बैंक की सहमति से उपलब्ध करवाये जाएंगे। यह सिलसिला लगातार चलता रहेगा। आगे चलकर अन्य किसान भी बीज बैंक में अपने बीज जमा करेंगे , जिससे आपस में वे बीज का आदान-प्रदान कर सकें। इस तरह किसानों को बीज के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा। केशवराम इस बीज से गेहूं उत्पादन मंे कम लागत लगने की बात कह रहे हैं। उन्होंने कहा, इसकी बोवाई का यह तीसरा महीना है और लक्ष्य सामने दिखने लगे है।
इसी तरह सहजपुरी गांव के किसान गुलाब पवार ने न सिर्फ गेहूं,बल्कि चना और मटर के उन्नत बीज भी अपने खेत में प्रदर्शन के लिए बोये है। उन्होंने कहा, जब प्रभात वाले कम सिंचाई और खाद के अधिक उत्पादन वाले उन्नत बीज मुफ्त किसानों को बांट रहे थे, तो उन्होंने गेहूं के साथ-साथ मटर और चने के बीज भी प्रयोग के लिए लिये है। वे कहते हैं, आज इन फसलों का पैदावार देखने के लिए दूर -दूर से किसान आ रहे हैं। उन्होंने कहा, कि कोरोना महामारी ने हमें यह सीखा दिया, कि बीज उत्पादन के क्षेत्र में किसानों का आत्मनिर्भर होना बहुत आवश्यक है। केंद्र और राज्य सरकारें भी इसे बढ़ावा दे रही है। श्री पवार ने बताया, कि जब किसान स्वयं बीज तैयार करेगा, तो बाजार और सरकारी सस्ते बीजों के उपलब्धता पर उन्हें निर्भर नहीं रहना पड़ेगा ।बीज बैंक से किसानों को बीज मिल जायेगा। बीज बैंक की प्रक्रिया के बारे में चर्चा करते हुए उन्होंने कहा, कि शुरूआत में किसानों को मुफ्त बीज इसलिए दिया जाएगा, िक वे इससे दोगुना उपज प्राप्त कर वापस बीज लाकर बैंक में जमा करें। उन्होंने कहा, कि गांव का बीज बैंक किसानों के लिए बहुत उपयोगी है।
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