Thursday, June 22, 2023

उड़ान के लिए तैयार प्रदेश के हस्तशिल्प





 उड़ान के लिए तैयार प्रदेश के हस्तशिल्प 

रूबी सरकार 
चंदेरी साडिय़ों से बॉलीवुड का पुराना रिश्ता है। करीना और आमिर के बाद चंदेरी के बुनकरों को आगे बढ़ाने आईं , अनुष्का शर्मा और वरूण धवन ।   वर्ष 2009 में एक फिल्म के प्रमोशन पर चंदेरी आए बॉलीवुड कलाकार करीना कपूर और आमिर खान के बाद चंदेरी साड़ी को नई दिशा मिली। करीना ने जिस डिजाइन की चंदेरी साड़ी पहनी उसका नाम करीना साड़ी हो गया। इसके बाद पिछले वर्ष एक फिल्म की शूटिंग के लिए आई अभिनेत्री अनुष्का शर्मा ने भी चंदेरी साड़ी को पंसद किया। चंदेरी के खत्म होते हस्तशिल्प को पुनर्जीवित करने जनप्रतिनिधियों द्वारा भी समय-समय पर अनेक प्रयास किये गये। नई दिल्ली में गुना के तत्कालीन सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया रैम्प पर उतरे। शो में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ बॉलीवुड एक्ट्रेस अदिति राव हैदरी ने भी रैम्प वॉक किया। इस कार्यक्रम में ज्योतिरादित्य सिंधिया कई जानी-मानी मॉडल्स को टक्कर दे रहे थे। वर्ष 2010 में हुए कामन वेल्थ गेम्स के लिए लगभग 10 हजार ध्वज चंदेरी के हथकरघे में ही तैयार किए गए थे।चंदेरी फैब्रिक का इतिहास वेदिक युग में मिलता है। जानकार कहते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण की बुआ के बेटे शिशुपाल ने इसकी खोज की थी। 
मध्यप्रदेश की पूर्व राज्यपाल आनंदीबेन ने भी चंदेरी हस्तशिल्प को नई पहचान दिलाने के लिए आगे आई थीं। उन्होंने चंदेरी का दौरा भी किया और चंदेरी में करीब 6 से 7 बुनकरों के यहां पहुंचकर उन्होंने कई तरह की चंदेरी साड़ी, सूट, दुपट्टा सहित अन्य शिल्पकला की डिजाइन देखीं थी ।  उनमें से कुछ डिजाइन को उन्होंने पसंद भी किया। इन डिजाइन को उनके साथ अहमदाबाद आये स्वयंसेवी संगठनों के प्रतिनिधियों ने अपने स्तर पर प्रमोशन कर नया प्लेटफार्म देने का वायदा भी किया। साथ ही हस्तशिल्प के क्षेत्र में कार्यरत श्रमिकों को सीधे बाजार में ग्राहकों से जोडऩे के लिए काम कर रही अहमदाबाद की एनजीओ अब चंदेरी हस्तशिल्प का प्रमोशन भी करेंगी। इन डिजाइनों का प्रमोशन करने के बाद डिमांड आने पर सीधे बुनकरों को बाजार से जोडऩे के लिए अपनी संस्था के माध्यम से बाजार में डिमांड बनाने की कवायद भी करने की कोशिश की । लेकिन यह सारी कोशिशें बुनकरों में उतना उत्साह जगा नहीं पाईं, जितना विभाग के एक अधिकारी सीधे तौर पर बुनकर से संवाद कर उन्हें उनके हस्तशिल्प पर सीधा लाभ दिलाने का वायदा उनसे कर आये। 
दरअसल  मध्यप्रदेश के हाथकरघा और हस्तशिल्प के प्रबंध संचालक राजीव शर्मा  पदभार संभालते ही प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों का दौरा और शिल्पकारों से सीधे संवाद करना शुरू किया, तो उन्हें कलाकारों और बाज़ार के बीच की खाई का पता चला और उन्होंने मात्र 60 दिनों में ही विभाग में कई सारे नवाचार कर अपनी कल्पनाशीलता का परिचय दिया। उनके नवाचार से सिर्फ विभाग ही नहीं, बल्कि प्रदेश के शिल्पकार उत्साहित है। उन्होंने महेश्ववर की शुद्ध रेशमी, सूती धागे और ज़री से बनाई गई साडिय़ों के साथ-साथ  3 प्रकार के फेब्रिक से बनीं शुद्ध सिल्क, चंदेरी कॉटन और सिल्क-कॉटन की साडिय़ों को यूरोप तक ऊचित दामों में पहुंचाने की सारी औपचारिकतएं पूरी कर ली। 
उन्होंने मध्यप्रदेश के शिल्प को पूरी तरह से बिचौलियों से मुक्त करने की कोशिशें शुरू कर दी है। इसके लिए उन्होंने सबसे पहले लंदन के नेहरू सेंटर में मृगनयनी शो-रूम शुरू करने के प्रयास किये, जिसमें उन्हें सफलता भी मिली। श्री शर्मा ने बताया, कि इसके अलावा यूरोप में निजी व्यावसाईयों से भी बात चल रही है।  इससे पहले यूरोप के ग्राहकों को चंदेरी और महेश्वर की साडिय़ां तथा हस्तशिल्प लगभग 5 सौ गुने अधिक दामों में बिचौलियों के माध्यम से मिलता था। इसके अलावा मध्यप्रदेश का परंपरागत बाटिक प्रिंट, बाग पिं्रट, झारा शिल्प, आदिवासी लोक मिथकों और कल्पनाशीलता के मिश्रण से बनीं लौह शिल्प और जनजातीय पेंटिग्स अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में बड़ी मांग है, जिसका फायदा अक्सर बिचौलिये उठा लेते हैं, लेकिन अब सही निगरानी से गड़बड़ी  कठिन हुई है। इसे और दुरुस्त करने की जरूरत है।   
श्री शर्मा ने बताया, कि पदभार संभालने ही वे कपास से साड़ी बनने की प्रक्रिया को घूम-घूम कर देखने और बहुत कुछ सीखने का मौका मिला।  बुनकरों -शिल्पियों के घरों और आंगनों में रखे करघों में काम करते हुए शिल्पकारों से बात की और उनकी परेशानियों को समझा । फिर सरकारी फाइलों की औपचारिकताएं पूरी की । उसके बाद प्रदेश के हस्तशिल्प को बिस्तार देने के लिए छत्तीसगढ़ के साथ समझौता किया तथा आंध्र तथा तेलंगाना के साथ सहमति बनीं। वे  मध्यप्रदेश के शिल्प को केवल प्रदेश ही नहीं, बल्कि भारत और दुनियां में  विस्तार देने की पूरी तैयारी में लगे हैं। 
उन्होंने कहा, छत्तीसगढ़ समझौते में वहां के कोसा सिल्क फेब्रिक आसानी से मध्यप्रदेश के बुनकरों को मिल जायेगा। इसी समझौते के तहत छत्तीसगढ़ हाट में मृगनयनी का शो रूप होगा, जहां छत्तीसगढ़ के सुरुचिपूर्ण महिलाएं चंदेरी और महेश्वरी साडिय़ां खरीद सकेंगी। 
श्री शर्मा के अनुसार आगामी 30 सितम्बर को आन्ध्र प्रदेश की राजधानी हैदराबाद में वहां के मुख्यमंत्री आन्ध्रप्रदेश की हैण्डलूम शो रूप लिपाक्षी का शुभारंभ करेंगे। इसी शो रूप में मृगनयनी का काउन्टर भी होगा। 
नवाचार के अंतर्गत उन्होंने 2 अक्टूबर,गांधी जयंती के दिन मृगनयनी के देश के सभी 23 शो रूप पर सभी प्रकार के कलाकृति, शिल्प पर 35 फीसदी तथा 3 अक्टूबर से 7 अक्टूबर तक 30 फीसदी छूट देने का निर्णय लिया है। श्री शर्मा का मानना है, कि हाथकरघा और हस्तशिल्प विभाग का संस्कृति और पर्यटन विभाग से समन्वय होने चाहिए, जिससे प्रदेश के सभी अभयारण्य, राष्ट्रीय उद्यान और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के दौरान एक स्टॉल अवश्य हो। 
इसी कड़ी में उन्होंने दीपावली के मौके पर भोपाल के गौहर महल में आदिवासी गहनों की प्रदर्शनी और बिक्री का निर्णय लिया है। इसमें मध्यप्रदेश के सभी जनजाति अपने-अपने पारंपरिक गहनों की प्रदर्शनी व बिक्री के लिए स्टॉल लगायेंगे। 
बारिश के मौसम में महेश्वर में बुनकरों की हालत देखकर उन्होंने यह निर्णय लिया, कि वहां लगभग 17 एकड़ में एक ऐसी कॉलोनी बनाया जाये, जिसमें बुनकरों के करघे और वे स्वयं सुरक्षित रहकर काम कर सकें। श्री शर्मा ने कहा, कि हाथकरघा प्रदेश की धरोहर और चंदेरी-महेश्वरी हमारी सांस्कृतिक विरासत है, इसे संरक्षित रखने का जिम्मा  विभाग के ऊपर है। इसके लिए जब तक मानव श्रम का ऊचित दाम नहीं मिलेगा, तब तक कला को जिंदा रखना मुश्किल है।  भिण्ड जिले का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया, कि देखते ही देखते वहां के सारे करघे बंद हो गये।  

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