Tuesday, June 20, 2023

खनन पट्टे की रॉयल्टी की प्राथमिकता बदली ,अधोसंरचना के स्थान पर खनन संसाधनों की हो रही खोज

 



खनन पट्टे की रॉयल्टी की प्राथमिकता बदली ,अधोसंरचना के स्थान पर खनन संसाधनों की हो रही खोज


रूबी सरकार

कर्ज में डूबे मध्यप्रदेश को उबारने के लिए यहां उन्नत वैज्ञानीक तकनीक अपनाते हुए खनिज भण्डार की खोज भूवैज्ञानिकों द्वारा किया जा रहा है। यह आश्वस्त करने वाली बात है, कि यहां के बैतूल जिले में पिछले दिनों वैज्ञानिकों ने ग्रेफाइड और बेनेडियन को खोज निकाला है। बेनेडियन खनिज बैटरी बनाने के काम में आता है। अब इस संसाधन से संभवतः राज्य सरकार इसका   अपना खजाना कुछ हद तक भर पायेगी।  2 मार्च को भोपाल में राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण न्यास की ओर से आयोजित एक  कार्यशाला में इस खनिज के मिलने की घोषणा की गई तथा इससे संबंधित दस्तावेज मध्यप्रदेश के खनिज विभाग के प्रमुख सचिव सुखबीर सिंह को सौंपा गया।
दरअसल वर्ष 2014 में केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद खान मंत्रालय की ओर से राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण न्यास का गठन किया गया है। यह भारतीय न्यास अधिनियम 1982 के उपबंधों के अधीन एक अलाभप्रद न्यास है तथा इसकी गतिविधियों के संचालन के लिए खनन पट्टे से मिलने वाली दो फीसदी रॉयल्टी राशि जो पहले राज्य को प्राप्त होती थी, न्यास के गठन के बाद  सीधे न्यास को हस्तांतरित करने की अधिसूचना जारी की गई। जाहिर है इस रॉयल्टी से राज्य सरकारों को एक मुश्त करोड़ों रूपये मिलती थी और इसी राशि से उच्च प्राथमिकता के आधार पर जिले की अधोसंरचना का निर्माण किया जाता था। अब रॉयल्टी की राशि से विकासात्मक एवं कल्याण संबंधी कार्य के लिए न्यास की अनुमति आवश्यक है।
वर्ष 2015 से न्यास की गतिविधियां प्रारंभ हो चुकी है।  मुख्य गतिविधियों में उन्नत वैज्ञानिक तकनीक अपनाते हुए खनिज भंडार की सतत खोज, खनिज विकास पर अध्ययन और उसका निष्कर्ष निकालना आदि को शामिल किया गया है।  यह  खनिज मंत्रालय की सर्वोच्च निकाय गवर्निंग बॉडी है, इसके पदेन अध्यक्ष भारत सरकार के खनिज मंत्री होते हैं, जो न्यास पर समग्र नियंत्रण रखते हैं। साथ ही चयनित कार्यकारी समिति द्वारा अध्यक्ष के निर्देषन में गतिविधियों का संचालन और प्रबंधन किया जाता है।
भोपाल में आयोजित यह  न्यास की यह तीसरी कार्यशाला थी, जिसमें भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई)और मिनरल एक्सप्लोरेशन कार्पोरेशन लिमिटेड (एमईसीएल)के, मध्य प्रदेश,छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र राज्यों के प्रमुख अधिकारी मौजूद थे।  इससे पहले इस तरह की कार्यशाला जयपुर में हो चुकी थी, जिसमें गुजरात और राजस्थान राज्यों को शामिल किया गया था। दूसरी कार्यशाला लखनऊ में आयोजित की गई थी, जिसमें हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख और उत्तर प्रदेश राज्यों के प्रतिनिधि शामिल हुए थे। यानी न्यास की प्राथमिकता अब बदल चुकी है और न्यास इस रॉयल्टी की राशि से
ज्ञान साझा करने का मंच प्रदान करने लगी है, जिसमें देश में अन्वेषण बढ़ाने के लिए राज्य विभागों के भौमिकी और खान निदेशालय और राज्य खनिज विकास निगमों की भूमिका पर प्रकाश डाला जाता है। साथ ही राज्यों से यह कहा जाता है, कि वे इस तरह से अन्वेषण गतिविधियों की योजना बनाएं, जो खनिज क्षेत्र में काफी प्रभावी हों । इसके आलावा राज्यों से यह भी अनुरोध किया जाता है, कि वे अन्छुए खनिज संसाधनों का पता लगाने के लिए अधिसूचित अन्वेषण एजेंसियों की सेवाओं का उपयोग इस राशि से करें ।
भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के उप महानिदेशक मिलिन्द घनकटे बताते हैं, कि भारत समृद्ध खनिज संसाधनों से संपन्न है। फिर भी हमें विशाल खनिज संसाधनों को आयात करना पड़ता है। इसलिए भारत सरकार की ओर से इस तरह का निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा, कि भारत में निर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी बढ़ने के साथ देश की खनिज आवश्यकता को बढ़ाने की आवष्यकता महसूस हुई। न्यास की राशि से यह संभव हो पा रहा है।  खनिज संसाधनों की वृद्धि और आयात बिल को कम रखने के लिए खनिज अन्वेषण गतिविधियों को अधिक बढ़ाया गया है। क्योंकि  खनिज अन्वेषण गतिविधियाँ अत्यधिक खर्चीली हैं , इसमें प्रचुर धन कि आवश्यकता पड़ती है। अब न्यास खनिज अन्वेषण गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक धन कि आपूर्ति करने लगा है। इससे सर्वेक्षण के लिए धन की कमी आड़े नहीं आयेगी।
मध्यप्रदेश खनिज संसाधन विभाग  के प्रमुख सचिव  सुखवीर सिंह खनन अन्वेषण का उल्लेख करते हुए बताते हैं, कि मध्यप्रदेश के बालाघाट, डिंडोरी और सीधी में प्रचूर मात्रा में कॉपर और सतना जिले के कई विकास खण्डों में प्रचूर मात्रा में चूना पत्थर का खान मिला है। सारे अन्वेषण  न्यास से प्राप्त राशि से संभव हो पाया है।  
प्रमुख सचिव ने बताया, कि मध्यप्रदेश में खनिज संपदा की असीम संभावनाएं हैं। हाल ही में यहां भारत के भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के अधिकारियों द्वारा लम्बे प्रयास से बैतूल जिले के तीन विकास खण्डों में ग्रेफाइड और बेनेडियन को खोज निकाला है। इससे संबंधित दस्तावेज भारत के भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण  के महानिदेशक को सौंपा दिया गया है ।
उल्लेखनीय है, कि सेंट्रल रीजन में 3 लाख  8 हजार स्क्वेयर किलोमीटर के क्षे़त्र में भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण का काम फैला है। सेंट्रल रीजन में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र राज्य शामिल है। इसमें से एक लाख 74 हजार स्क्वेयर किलोमीटर में फिलहाल खनिज का अनुसंधान जारी है, जिसमें मध्यप्रदेश में एक लाख 14 हजार स्क्वायर क्षेत्र भी शामिल है। भू-वैज्ञानिक शुभ्रासुही सरकार ने बताया, कि मध्यप्रदेश में 12 प्रकार के खनिज संसाधन प्रचूर मात्रा में पायी जाती है। इसमें सोना, हीरा , तांबा, कोयला से लेकर, लौह अयस्क, मैंगनीज अयस्क, चूना पत्थर आदि शामिल है। हीरा , तांबा और मैगनीज के उत्पाद में तो मध्यप्रदेश का देश में प्रथम स्थान है, जबकि चूना पत्थर और रॉक फॉस्फेट के उत्पादन में द्वितीय। उन्होंने   कहा, ग्रेफाइड से बेनेडियन को पहली बार अलग करने का काम भू- वैज्ञानिकों ने  किया है, जो बैटरी बनाने के काम में आता है। मध्यप्रदेश  में खनिज संपदा भरपूर है। यहां मिलने वाले खनिज मोबाइल के चिप्स तथा आधुनिक इलेक्ट्रानिक बनाने के काम में आता है।  इस रिपोर्ट की औपचारिकताएं पूरी होने के बाद मध्यप्रदेश सरकार इन संसाधनों के लिए निविदा जारी कर सकेगी।

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