ऐसे हुआ डोंट खेड़ा पंचायत में सौ फीसदी टीकाकरण
रूबी सरकार
दरअसल, जब कोरोना महामारी की दूसरी लहर से दस्तक दी, तो ग्रामीण इसके प्रति लापरवाह थे। उन्हें यह लग रहा था, कि यह शहर के लोगों पर हावी होगा। चूंकि वे प्रकृति के साथ मिलजुल कर रहते हैं, इसलिए यह बीमारी उन्हें नुकसान नहीं पहुंचायेगा। लेकिन इस दौरान पलायन पर जाने वाले लोग गांव वापस आये और साथ में यह बीमारी भी गांव ले आये। फिर तो गांव में डर, भ्रम, बीमारी को छिपाने का जो दौर शुरू हुआ , उससे ग्रामीणों के जान-माल का बहुत नुकसान हुआ। वे इसे दैवीय प्रकोप मानने लगे। पूजा-पाठ, टोने-टोटके इत्यादि पर ज्यादा भरोसा करने लगे। बीमारी को भगाने की जो असली वजह हो सकती है, उस पर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया। शहरों में लॉकडाउन लगा था और स्वास्थ्य कर्मियों की उन तक पहुंच नहीं थी। ग्रामीणों के साथ उनका इससे पहले कोई तादात्म्य नहीं था, लिहाजा वे उनकी बातों पर भरोसा नहीं कर पा रहे थे, उल्टे उनसे उलझ जाते थे। उन्हें देखकर दरवाजा बंद कर लेते थे। ऐसे में नीति आयोग को लगा, कि जो सदियों से ग्रामीणों को स्वावलंबन के लिए काम कर रहे हैं, ऐसे स्वयंसेवी संस्थाओं को जोड़ा जाये, ताकि कोई सकारात्मक परिणाम निकले। इसे ध्यान में रखते हुए नीति आयोग ने एनजीओ और स्वयं सेवी संगठनों को पत्र लिखा और संस्थाओं ने पत्र के अनुपालन में पढ़े-लिखे युवाओं को गांव जाकर वहां के लोगों को समझाने की चुनौती दी। युवा गांव जाकर ग्रामीणों को विश्वास में लेकर इस महामारी को खत्म करने में उनकी मदद करने लगे। इस तरह बहुत सारे युवाओं ने इस चुनौती को स्वीकार कर ग्रामीणों के बीच काम करने लग गये। इसी कड़ी में एक संस्था पीरामल फाउंडेशन ने कुछ युवाओं को तैयार कर उन्हें मध्यप्रदेश के उन गांवों में भेजा। जिसे केंद्र सरकार ने आकांक्षी जिलों के रूप में चुना है। जहां लोग पूरी तरह खेती पर आश्रित हैं या फिर रोजगार के लिए पलायन करते हैं और लॉकडाउन के बाद गांव वापस आये थे। जब इन युवाओं ने ग्रामीणों को प्रेरित किया, तो धीरे-धीरे इनकी मुश्किलें कम होने लगी। ग्रामीण उनके साथ बातचीत करने को तैयार हो गये। यहां तक उनके कहने पर टीके लगाने को भी तैयार हो गये। इसमें भी सबसे पहले गांव के युवा सामने आये। अपने घर के बच्चों से प्रेरित होकर बुजुर्ग भी टीके लगाने को राजी हो गये।
सबसे पहले फाउंडेशन ने सुरक्षित हम, सुरक्षित तुम अभियान के तहत विदिशा जिला के लटेरी विकास खण्ड में अनिता, मीना और मदन मोहन को वॉलिंटियर्स बनाकर भेजा। इन युवाओं का नेतृत्व सुबोध मण्डलोई ने किया। इन युवाओं ने पहले इस विकासखंड के ग्राम कोलू खेड़ी और खेड़ा को चुना। क्योंकि यह गांव विदिशा मुख्यालय से करीब सौ किलोमीटर दूर है और इन ग्रामीणों का शहर के चिकित्सकों पर कम और टोना-टोटके पर ज्यादा भरोसा था। इन गांव के 50 घरों तक अनिता, मीना और मदनमोहन ने अपनी पहुंच बनायी। इन घरों में घूम-घूम कर लोगों को टीकाकरण के प्रति भय और भ्रम को खत्म करने का प्रयास किया और ग्रामीणों को टीके के लिए राजी किया। अनिता ने कहा, कि उसने ग्रामीणों को बताया, कि कोविड का खतरा अभी कम नहीं हुआ हैं इसलिए आप मास्क लगाए,,दो गज के दूरी बनाकर रखें,अति आवश्यक होने पर ही घर से बाहर निकले, तथा अपने आस - पास सफाई का पूरा ख्याल रखें। इसके साथ ही इस बीमारी के खतरे को कम करने के लिए टीका लगाना कितना जरूरी है, यह भी समझाया। इन लोगों ने ग्रामीणों को समझाया, कि अभी इस बीमारी के इलाज के लिए कोई दवा नहीं है। सिर्फ टीके से हम रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकते हैं, जो इस बीमारी के साथ लड़ने में काम आयेगा।
युवाओं की पहल से कामयाब होता टीकाकरण
रूबी सरकार
भोपाल, मप्र
Gram Taru.Com
https://www.gramtaru.com/2021/
Hindi Nidhi
https://hindinidhi.com/2021/
Basti Bureau Online
https://www.bastibureau.com/
Pratilipi Hindi
Voice Of Margin
Youth Ki Awaz
Hindikunj
https://www.hindikunj.com/
Adhunik Rajasthan, Ajmer 02 Sep 2021
http://adhunikrajasthan.com/
Navsanchar Samachar.Com
Lens Eye
https://www.lenseyenews.com/
Liveaaryavart
https://www.liveaaryaavart.
Pravakta.Com
https://www.pravakta.com/
Ground Report
https://groundreport.in/
Basti Bureau Newspaper 02-08 Sep 2021
Avadhnama Hindi 04 Sep 2021
https://epaper.avadhnama.com/
Vichar Suchak 03 Sep 2021
No comments:
Post a Comment