कोरोना महामारी में शांत संक्रमण हेपेटाइटिस बी का खतरा भी कम नहीं
रूबी सरकार28 जुलाई को विश्व हेपेटाइटिस दिवस पूरे विश्व में मनाया गया। ताकि ये हमें याद दिलाता रहे िक इस घातक बीमारी से हमें बचना है । सारी सावधानियां रखना हैं और इस धरती को हेपेटाइटिस मुक्त बनाना है। हेपेटाइटिस यानी लिवर की सूजन । जो आमतौर पर वायरस इन्फेक्शन से होती है । हालांकि इसके अन्य कारण भी हैं जैसे शराब, कई किस्म की दवाइयां एलोपैथी, होम्योपैथिक या आयुर्वेदिक , कुछ आनुवांशिक बीमारियां या फिर ऑटोइम्यून डिजीज। अगर हम वायरस की बात करें, तो पांच किस्म के वायरस होते हैं- ए, बी, सी, डी, और ई इसमें से बी और सी की ये खासियत है कि ये शरीर में घर बना लेते हैं यानी क्रोनिक फेस में चले जाते हैं और धीरे धीरे लिवर को खराब कर देते हैं या कैंसर में परिवर्तित हो जाते हैं । लिवर कैंसर का पता किसी व्यक्ति को तब चलता है, जब उसे हैपेटाइटिस हो गया होता है। इसका मुख्य लक्षण पीलिया, भूख न लगना, कमजोरी, उल्टी आना, हल्का बुखार इत्यादि। पर खास बात यह है कि हर मरीज में लक्षण नहीं होते बहुत से ए सिम्टोमेटिक होते हैं। इन्हें सिर्फ टेस्ट के जरिए पकड़ा जा सकता है। विशेष रूप से क्रोनिक इंफेक्शन में । आज भी क्रोनिक हेपेटाइटिस बी के ज्यादातर मरीजों को ये बीमारी मां के पेट से आती है यानी वर्टिकल ट्रांसमिशन और यह सब ए सिम्बेमेटिक होते हैं। यह इफेक्टिव होते हैं। किसी के संपर्क में आने वाले व्यक्ति को भी संक्रमित कर सकते हैं । इस समय विश्व में लगभग 40 करोड़ लोगों को हेपेटाइटिस बी है । इनमें से 95 फीसदी को कोई लक्षण नहीं है। इसलिए इस विश्व हेपेटाइटिस दिवस पर स्लोगन रखा गया है हेपेटाइटिस कांट वेट यानी हेपेटाइटिस इंतजार नहीं कर सकता, जल्दी जांच करवाये। अगर गर्भवती हैं, तो जरूर टेस्ट कराएं। बच्चा पैदा होते ही टीका लगवाएं । अगर आप हेल्थ वर्कर हैं, तो डटकर काम करें, लोगों को जागरूक करें ।
डॉक्टरों के अनुसार मध्य प्रदेश में 12 में एक व्यक्ति हेपेटाइटिस बी या फिर सी से ग्रसित हैं। विश्व में यह आंकड़ा 3 लोगों में से एक बताया जा रहा है; मध्य प्रदेश सरकार वर्ष 2030 तक हेपेटाइटिस-सी का पूर्ण रूप् से खत्म करने एवं हेपेटाइटिस बी की रोकथाम एवं मृत्यु दर कम करने के लिए लिए काम कर रही है।डॉ शशि ठाकुर कहती हैं, कि हेपेटाइटिस बी का टीकाकरण से उपचार संभव है। इसी तरह हेपेटाइटिस सी से ग्रस्त मरीजों में में से अधिकतर उपचार से ठीक हो सकते हैं। उन्होंने कहा, कि यदि मरीजों ने लक्षण के बाद भी समय पर हेपेटाइटिस का इलाज नहीं करवाया, तो लिवर कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है। मध्यप्रदेश में पिछले एक साल में एक लाख, 88 हजार, 88 लोगों की हेपेटाइटिस बी की स्क्रीनिंग की गई है। जिसमें से एक हजार, 424 संक्रमित पाये गये। अब अगर एक राज्य में यह हाल है, तो पूरे देश में इसकी संख्या कितनी बड़ी हो सकती है। कोरोना महामारी में तो लिवर का संक्रमण बढ़ गया है। मध्यप्रदेश में हेपेटाइटिस को खत्म करने के लिए प्रदेश के समस्त जिलों के स्वास्थ्य कर्मचारियों का हेपेटाइटिस-बी का टीकाकरण किया जा रहा है। डॉ शशि बताती हैं, कि प्रदेश में कुल संस्थागत प्रसव एक लाख, 89 हजार,345 हैं। इन्हीं में से एक लाख 74 हजार,676 नवजात शिशुओं को हेपेटाइटिस-बी का 24 घण्टे के भीतर एचबीआईजी का टीकाकरण किया गया। जबकि गर्भवती महिलाओं में सिर्फ 538 महिलाएं ही हेपेटाइटिस-बी संक्रमित पाई गई। प्रदेश में यह 28 जुलाई ,2918 प्रदेश में इसके उपचार के लिए यूनिट काम कर रही है। 90 फीसदी नवजात शिशुओं को हेपेटाइटिस -बी का जीरो खुराक टीकाकरण किया जा रहा है।
इस मर्ज को पकड़ना आसान है। केवल रक्त जांच से यह पकड़ में आ सकता है। इसके अलावा एलएफटी और सोनोग्राफी , अगर शंका हो तो हेपेटाइटिस मार्करों और लिवर डैमेज की ष्षंस हो, तो फाइब्रोस्कैन और एंडोस्कोपी फेब्रोकेन एक बेहद कारगर जांच है । जिससे 10 मिनट में लिवर डैमेज का पता लग जाता है। एंडोस्कोपी इन मरीजों के खून की उल्टी रोकने का अति उपयोगी साधन है। हेपेटाइटिस से बचने का मूल मं.त्र है -टीकाकरण हेपेटाइटिस ए और बी के लिए टीका कराएं हेपेटाइटिस ए और ई के लिए स्वच्छ खाद्य पदार्थ व पानी का इस्तेमाल करें। हाथ को हमेशा साफ रखें। हेपेटाइटिस बी और सी के लिए सेफ मेडिकल प्रेक्टिस रखें और असुरक्षित यौन संबंधों से बचे। इसके अलावा भी कई अन्य कारण ऐसे हैं, जो लिवर को खराब कर सकते हैं। इसमें मुख्य है शराब । इसका सेवन सीमित मात्रा में हो, तो ही अच्छा है। यानि सप्ताह में दो दिन से ज्यादा नहीं और दो पेग यानी 120 मिलीग्राम से ज्यादा नहीं। आज भी विश्व में लगभग 50 फीसदी सिरोसिस लिवर डैमेज के मामले शराब के कारण होते हैं। इसके अलावा भी एनएएफएलडी यानी वह बीमारी जिसमें व्यक्ति ने कभी शराब पी ही न हो, परंतु वह व्यायाम नहीं करता । उसका वजन ज्यादा है या वे मधुमेह से ग्रसित हैं । इन्हें भी ठीक वैसी ही बीमारी होती है, जो एक शराब पीने वालों को होती है । मतलब लिवर पर चर्बी जमा होती जाती है, परिणाम वहीं है यानी सिरोसिस या लिवर नष्ट होता जाता है। इससे बचने के लिए नियमित रूप से 45 मिनिट से एक घण्टा व्यायाम करना चाहिए। अपना वजन बढ़ने न दें। फास्ट फूड व तला या अधिक मीठा ना खाएं और अगर मधुमेह हैं, तो मीठे पर अंकुश लगाये। इसके अलावा और बहुत सी सावधानियां आवश्यक है, जैसे- बिना डॉक्टरी सलाह के अनावश्यक दवाओं का इस्तेमाल न करें, बहुत सी दवाएं हेपेटॉक्सिन होती है और इनके लगातार इसतेमाल से लिवर खराब हो जाता है कई अनुवांशिक बीमारियों होती है और कई इम्युनिटी मेडिकेटेड डिजीज इनसे बचना, मुमकिन नहीं । पर इन सभी का अच्छा इलाज उपलब्ध है । इस सबके बावजूद अगर लिवर खराब हो जाए, तो लिवर प्रत्यारोपण किया जा सकता है । यह खर्चीला है, परंतु बेहद सफल तकनीक है और हमारे देश में सर्वथा उपलब्ध है।
लोगों को यह ध्यान रखने की जरूरत है, कि हेपेटाइटिस बी और सी खतरनाक हैं, क्योंकि वायरस सीधे लीवर पर हमला करता है और ऊतकों को नुकसान पहुंचाता है और यहां तक कि लीवर कैंसर का कारण बनता है। ‘‘हेपेटाइटिस बी का टीकाकरण तो है, लेकिन यह वास्तव में इलाज योग्य नहीं है। हालांकि हेपेटाइटिस सी इलाज योग्य है लेकिन इसका कोई टीका नहीं है। वे दोनों खतरनाक हैं। चूंकि हेपेटाइटिस के कोई लक्षण नहीं होते हैं, इसलिए रोगियों में इसका पता तब तक नहीं चलता जब तक कि वायरस लीवर को पूरी तरह से नुकसान न पहुंचा दे। इसलिए बहुत ध्यान रखें।
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