देश का पहला ऊर्जा महिला हेल्प डेस्क
रूबी सरकारमध्यप्रदेश निकायों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने से लेकर बालिकाओं की पढ़ाई, महिलाओं की सुरक्षा , भेदभाव समाप्त करने जैसे कई उल्लेखनीय फैसले मुख्यमंत्री शिवराज सरकार ने अपने कार्यकाल में लिये हैं। उनके कार्यकाल में इन मुद्दों को ध्यान में रखते हुए कई योजनाएं लागू की गई । इसी कड़ी में चौथी बार मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद उन्होंने प्राथमिकता के आधार पर महिलाओं के आर्थिक स्वालम्बन और उनके सम्मान तथा समाज में उनके प्रति नजरिया बदलने के लिए हर सरकारी कार्यक्रमों की शुरूआत कन्या पाद पूजन से करने का फैसला लिया। इसी तरह गृह विभाग भी महिला सम्मान कार्यक्रम के जरिये समाज में महिलाओं के प्रति सम्मान बढ़ाने का प्रयास कर रही है। एक और महत्वपूर्ण नवाचार करते हुए मुख्यमंत्री ने मध्यप्रदेश में महिलाओं के विरूद्ध अपराधों पर लगाम लगाने के लिए 700 थानों में ऊर्जा महिला हेल्प डेस्क शुरू किये हैं ,जहां महिलाओं के विरुद्ध की जाने वाली शारीरिक, मानसिक प्रताड़ना एवं घरेलू हिंसा आदि में पीडि़ताओं को तत्काल राहत दिलाने का प्रयास होगा। यह साक्ष्य आधारित पुलिसिंग परियोजना है और पूरे भारतवर्ष में यह पहला प्रयोग हो रहा है। इसके लिए उन थानों का चयन किया गया है, जहां अन्य थानों की तुलना में महिला अपराध अधिक हैं। इस डेस्क के लिए अलग कक्ष, महिला अधिकारी की पद-स्थापना एवं प्रसाधन कक्ष की व्यवस्था है। प्रत्येक जिले में महिला डेस्क के नोडल अधिकारी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अथावा उप पुलिस अधीक्षक स्तर के होंगे तथा थाना प्रभारी के नियंत्रण एवं निर्देश में ऊर्जा महिला हेल्प डेस्क का संचालन महिला उप निरीक्षक अथवा सहायक उप निरीक्षक द्वारा किया जाएगा। यह डेस्क सिर्फ शहरों में ही नहीं, बल्कि मध्यप्रदेश के ग्रामीण दूरस्थ अंचलों में भी स्थापित की गई है , जिससे अधिकाधिक संख्या में महिलाओं को लाभ मिल सकेगा। महिला उत्पीड़न को कम करने के लिए तथा जागरूकता, पुर्नवास एवं आपराधिक न्यायिक प्रणाली में न्यायिक सुलभता के लिए राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की भूमिका भी इसमें अहम होगी। प्रदेश के इतिहास में यह पहला अवसर है, जब न्यायपालिका, पुलिस, प्रशासन, महिला एवं बाल विकास विभाग, स्वास्थ्य विभाग , सामाजिक न्याय एवं निःशक्तजन कल्याण विभाग और सहकारिता एवं श्रम विभाग,अनुसूचित जाति तथा जनजाति विभागों के समन्वय से महिलाओं को न्याय दिलाने का काम होगा।
पुलिस महानिदेशक विवेक जौहरी के अनुसार महिला हेल्प डेस्क पुलिस थाने की एक पूरक इकाई है। पुलिस मुख्यालय द्वारा महिला हेल्प डेस्क के संचालन के लिए साधन उपलब्ध कराई जा रही है, जो महिला हेल्प डेस्क की कार्यप्रणाली एवं कार्यवाही को मानक स्तर प्रदान करेगी। ऊर्जा डेस्क अन्तर विभागीय समन्वय का बेहतरीन उदाहरण है। गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव राजेश राजौरा बताते हैं, कि इसे प्रभावी बनाने के लिए सभी संबंधित विभागों से बेहतर समन्वय स्थापित किया जायेगा तथा ऊर्जा महिला डेस्क के ऑनलाईन प्रशिक्षण व पर्याप्त मात्रा में प्रचार-प्रसार एवं कानूनी प्रावधानों संबंधी सामग्री उपलब्ध कराई गई है।
हालांकि यह संकल्पना और रूप-रेखा वरिष्ठ पुलिस आईपीएस अधिकारी उपनिदेशक एमपीपीए विनीत कपूर के अध्ययन से निकल कर आया है। श्री कपूर ने लगभग साढ़े तीन साल तक परियोजना के ड्राफ्ट के लिए साक्ष्य जुटाये। इसके लिए उन्होंने पहले एक जिले के 4 थानों , फिर 12 जिलों के 120 थानों के अंतर्गत होने वाले अपराधों के साक्ष्यों पर अध्ययन किया । अध्ययन के बाद इसके जांच परिणामों के आधार पर ऊर्जा महिला हेल्प डेस्क की रूप-रेखा तैयार की गई। इस परियोजना में महिला सुरक्षा और न्याय के साथ-साथ पुलिस में जो सुधार आवश्यक है, उसका भी ध्यान रखा गया । विनीत कपूर ने बताया, कि इस शोध में थोड़ा लम्बा समय लगा, क्योंकि इसके लिए कई समितियों के सुझाव और निर्णयों का अध्ययन किया गया। इसके अलावा अंतराष्ट्रीय शोध संस्थाएं जैसे अब्दुल लतीफ जमील पावर्टी एक्शन लेब के शोधकर्ताओं और मध्यप्रदेश पुलिस विभाग ने भी शोध में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसके लिए काफी संसाधन भी खर्च हुए। उन्होंने कहा, इस तरह के प्रयास से जब कोई परियोजना बनती है, तो वह बहुत प्रभावी और सफल होती है।
ऊर्जा महिला हेल्प डेस्क के उद्घाटन के मौके पर न्यायाधिपति राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जबलपुर के प्रकाश श्रीवास्तव ने माना था, कि वर्तमान परिवेश में महिलाओं को निरंतर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, सार्वजनिक जीवन में भाग लेने के नए-नए मौके मिल रहे हैं किंतु महिलाओं को आज भी सुरक्षा एवं दंड न्यायिक प्रक्रिया तक पहुंचने में उनके सामने चुनौतियां हैं, इसीलिए पूर्ण न्याय के लिए यह जरूरी है, कि उन्हें विधिक सहायता, तत्काल राहत, सूचनाओं का आदान-प्रदान एवं पुर्नवास में सहयोग मिले। महिलाएं विभिन्न प्रकार की समस्याओं जैसे दहेज प्रताड़ना, छेड़छाड़, घरेलू हिंसा, बलात्संग, मानसिक उत्पीड़न आदि की शिकायत लेकर पुलिस थाना पहुंचती हैं। कई बार महिलाएं अपनी बात थाने में सहज रूप से कहने में संकोच करती हैं, ऐसे में ऊर्जा महिला हेल्प डेस्क उन्हें मदद करेगी।
आईजी पुलिस दीपिका सुरी के अनुसार महिलाओं के प्रति हो रही हिंसा के विरूद्ध प्रभावी कार्यवाही के लिए मध्यप्रदेश पुलिस द्वारा महिला डेस्क को पुलिस की जाने वाली समस्त प्रकार की प्राथमिक कार्यवाही सहित एक आदर्श मानकीकृत प्रक्रिया (एसओपी) उपलब्ध कराई जायेगी।जिसका उद्देश्य पीडि़त महिला की सहानुभूतिपूर्वक सुनवाई हो सके, उन्हें उचित वातावरण उपलबध हो, कानूनी प्रक्रिया की जानकारी के साथ ही अन्य स्वयंसेवी समूह से यथोचित सहायता उपलब्ध कराया जायेगा।
दरअसल मध्यप्रदेश में पिछले 2 महीने में दुष्कर्म और सामूहिक दुष्कर्म की वारदातों में तेजी से इजाफा हुआ है। हाल ही में महिलाओं और नाबालिग लड़कियों के साथ इस तरह की वारदातें देखने में आई हैं। मध्यप्रदेश में पिछले 8 महीनों में महिला अपराध के हजारों मामले दर्ज किए गए हैं। मध्यप्रदेश में हत्या के मामले 509, हत्या की कोशिश 207, मारपीट 9974, छेड़छाड़ 6479, अपहरण 5619, दुष्कर्म 3837, दहेज हत्या 519 और दहेज प्रताड़ना के 4604 मामले सामने आए हैं। महिला अपराध शाखा की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020 में 5600 बलात्कार के मामले सामने आए हैं। अगर पिछले पांच साल के रेप के आंकड़ों पर गौर करें, तो पांच साल में 27 हजार से अधिक रेप और 15 हजार से करीब रेप की कोशिश के केस दर्ज हुए हैं। सीधी में विधवा महिला के साथ दुष्कर्म, उमरिया में नाबालिग लड़की के साथ 9 लोगों द्वारा दुष्कर्म जैसी वारदातें सामने आई हैं। ज्यादा मामले दर्ज होने का यह भी एक कारण हो सकता है, कि अब मध्यप्रदेश की महिलाएं ज्यादा जागरूक हुई हैं। वे बेझिझक अपने विरूद्ध हो रहे हिंसा के खिलाफ थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाने पहुंच रही है।
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