Fri, Feb 15, 2019
सूझ-बूझ से घर वापस लौटी देविका को सता रहा जात पंचायत का डर
रूबी सरकार
बैतूल से लगभग 35 किलोमीटर दूर माकड़ा गांव की 10वीं पास 17 वर्षीय किशोरी देविका (कोरकू)करीब दो माह पहले दिहाड़ी मजदूरी पर कटाई के लिए सुबह ट्रेन से होशंगाबाद जाती और देर रात गये वापस लौटती थी। एक दिन अचानक घर वापसी में उसका मोबाइल फोन गुम हो गया। उसने घर पर किसी को नहीं बताया और अगले दिन अपने नम्बर पर फोन लगाया। उधर से किसी पुरुष की आवाज आई, जिसने उससे कहा, फोन उसके पास है, जब वह मिलेगी, तो वह फोन वापस कर देगा। अगले दिन दो लड़के देविका को उसका फोन वापस करने उसी ट्रेन में मिले, लेकिन फोन वापस करने के बजाय उससे इधर-उधर की बातें करने लगे। धीरे-धीरे उन लड़कों ने उसे झांसे में ले लिया और दीपावली के दिन देविका के गांव आ गये तथा उससे कहा, कि मेरी मां तुमसे मिलना चाहती है, चलो तुम्हे मां से मिलाकर घर वापस छोड़ देंगे। देविका उनकी बातों में आ गई और किसी को बिना बताये उन लड़कों के साथ चल दी। जब लड़कों ने उसे ट्रेन में बिठाया, तब वह डर गई और घर वापस लौटने की जि़द करने लगी। उस वक्त लड़कों ने न जाने उसे क्या खिला दिया , कि वह बेहोश हो गई। जब उसे होश आया, तो वह कूनी (राजस्थान)पहुंच चुकी थी। उसके बाद तो उसे एक घर में बंद कर दिया गया, जहां से भागने का कोई रास्ता ही नहीं था। देविका समझ गई, कि वह अगवा हो चुकी है। उसने बताया, कि वहां उसे पता चला, कि दो लड़के मामा -भांजा हैं और घर पर एक औरत भी है। दोनों लड़कों में से एक का नाम पवन था, जो उसके साथ लगातार 22 दिनों तक दुष्कर्म करता रहा। एक दिन उसे पता चला, कि उसे 2 लाख रुपये में नागौर जिले के लाडपुर में मुन्नूराम को बेच दिया गया है। अब मुन्नूराम ने उसे यह कहकर बंधक बनाकर रखा, कि तुम्हारी शादी अपने बेटे से करायेंगे। लगभग एक माह बीत चुका था, लेकिन न तो वह देविका की शादी करवा रहा था और न ही उसे आजाद कर रहा था। इस बीच एक दिन मुन्नूराम उसे एक शादी समारोह में ले गया, जहां उसने सूझ-बूझ दिखाते हुए एक औरत से अपने पिता शांताराम उइके से बात करने के लिए फोन की मांग की और जैसे ही उसे फोन मिला , उसने तुरंत अपने पिता को फोन लगाकर अपने साथ हुई ज्यादतियों के बारे में बताया। तुरंत स्थानीय थाने पहुंचा, लेकिन उसकी रिपोर्ट नहीं लिखी गई। निराश होकर वह बैतूल पुलिस अधीक्षक के पास पहुंचा और पूरी कहानी बताई। पुलिस अधीक्षक ने आरोपियों को पकडऩे और देविका को बरामद करने पुलिस की एक टीम को तुरंत राजस्थान में दबिश दी और देविका को बरामद कर वापस बैतूल ले आये। लेकिन आरोपी फरार हो गये।
देविका ने बताया, कि वहां पहुंचकर उसे पता चला, कि इन लड़कों का यही धंधा है। ये लड़कियों को अपनी जाल में फंसाकर उसे राजस्थान और हरियाणा में बेचने का काम करते हैं। उसने कहा, उसका फोन तो मिला नहीं, उल्टे पायल और बिछिया भी पवन ने उतार लिये।
बहरहाल, अब गांव में शांताराम का परिवार अलग-थलग है। जब जात पंचायत नहीं बैठेगा, तब तक इस परिवार का हुक्का-पानी बंद है। न ही उसके यहां कोई चाय-पानी पीने आयेगा और न ही वह गांव के हैण्डपम्प या कुंए से पानी ले पायेंगे। शांताराम बताते हैं, कि जात पंचायत में कम से कम 50 हजार का खर्च आयेगा। इसके लिए उसे कर्ज लेना पड़ेगा।
क्या है जात पंचायत
अन्य समाज के साथ शारीरिक संबंध होने पर कोरकू समाज उस लड़की और उसके परिवार को अशुद्ध मानते हैं। जब लड़की स्वयं अपनी गलती महसूस करती है और कहती है, कि वह अपने समाजिक रीति-रिवाज से पंचायत की बात से सहमत है, तब गांव के बुजुर्ग कोई तिथि निश्चित करती है। उस दिन लड़की को नदी के पास ले जाया जाता है, जहां एक गड्ढा खोदकर उसमें लड़की को खड़ा करके घास-फूस की एक झोपड़ी बनाई जाती है और उसमें आग लगा दिया जाता है। जब थोड़ी बहुत आग लड़की के बालों को छूने लगती है, तो उसे वापस निकालकर नदी में स्नान करवाया जाता है और लड़की पानी में खड़े होकर अपनी गलती मानकर माफी मांगती है । उसके बाद वह अपने सारे गीले वस्त्र वहीं नदी किनारे छोड़कर शुद्ध कपड़े पहनती है। यह सारी प्रक्रिया भूमका (पंडित) की उपस्थिति में होता है। इसके बाद पूरे गांव वालों को उनकी मांग के अनुसार सामूहिक भोज करवाया जाता है। इसके बाद वह पुन: अपने जात में सम्मिलित होती है।
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