मुफ्त इलाज की शर्त एक पेड़ लगाने का संकल्प
रूबी सरकारआज पूरा विश्व में पर्यावरण संरक्षण एक बड़ी चुनौती बन गई है। देश और दुनिया में सामूहिक रूप से इसकी चर्चा होती है। हालांकि भारत में सदियों से इन बातों पर बल दिया गया है। कुरुक्षेत्र के युद्ध के मैदान में भी भगवान कृष्ण वृक्ष की चर्चा करते हैं, युद्ध के मैदान में भी वृक्ष की चर्चा चिंता करना मतलब कि इसका महात्म्य कितना रहा होगा, हम अंदाजा लगा सकते हैं। गीता में भगवान कृष्ण कहते हैं-सभी वृक्षों में मैं पीपल हूँ।
शुक्राचार्य नीति में कहा गया है - ‘नास्ति मूलं अनौषधं’ - ऐसी कोई वनस्पति नहीं है, जिसमें कोई औषधीय गुण न हो। ‘जो वृक्ष लगाता है, उसके लिए ये वृक्ष सन्तान रूप होता है, इसमें संशय नहीं है। जो वृक्ष का दान करता है, उसको वह वृक्ष सन्तान की भाँति परलोक में भी तार देते हैं। शायद इसी सोच के साथ भोपाल के नाक, कान और गले डॉक्टर अरहम हुसैन ने मुफ्त इलाज पौधरोपण पर करना शुरू किया। बड़ा दिलचस्प तरीका उनके इलाज का, मुफ्त इलाज व दवा के साथ एक पेड़ भी ले जाओ और उसे खाद-पानी के साथ बड़ा करो।
गरीब मरीजों को उनके इलाज करने का नायाब तरीका बहुत पसंद आया। पौधरोपण डॉ हुसैन का शौक भी है और पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए यह जरूरी भी है। डॉ हुसैन कहते हैं इस तरह जरूरतमंदों की मदद भी हो जाती है और उन्हें लगता है कि डॉक्टर ने उन्हें एक काम दिया है। आइन्दा इलाज के लिए जाएंगे, तो उन्हें जवाब देना पड़ेगा। मरीजों से डॉ हुसैन फीस की जगह पौधों की रक्षा करने का संकल्प लेते हैं। इन दिनों उनका अस्पताल "आराम" इस बात को लेकर चर्चें में है । कि इलाज के जाओ और मुफ्त में एक पेड़ उपहार में ले आओ।
दरअसल डॉ हुसैन को पेड़ बांटने का चस्का बचपन से है, उन्होंने बताया कि उनके नानाजी मरहूम इंतजामुद्दीन, जो 1952 में श्यामपुर सीहोर के तहसीलदार हुआ करते थे, उन्होंने बचपन से ही अपने नानाजी को किसानों को बीज और पौधे मुफ्त में बांटते हुए देखा है।नानाजी भी हकीम थे, उनके पास भी इलाज कराने लोग आया करते है और वे बदले में एक पेड़ उन्हें देते थे। वे कहते हैं कि एक तरह से यह शौक उन्हें विरासत में मिली है। वे अपने अस्पताल से फुरसत पाकर अपने गांव शहरयार गंज में मरीजों के लिए कैम्प लगाते हैं और वहां भी वे मरीजों को एक पेड़ उपहार स्वरूप देते हैं।
विशेष रूप से जुलाई के महीने में उनका पौधे वितरित करने का काम चलता हैं।अब तो पेड़ वाले भईया के नाम से इतने विख्यात हो गए है कि लोग 15 जून से ही पौधे रोपने के लिए गड्ढा बनाना शुरू कर देते हैं और जुलाई के मध्य आते-आते उनसे पौधों की मांग करने लगते हैं। अब तो श्यामपुर क्या पूरे मध्यप्रदेश में वे फलदार वृक्ष बांटने लगे हैं।
ताज्जुब की बात यह है कि बांटे गए पौधों का पूरा रिकॉर्ड उनके पास हैं। वे कहते हैं कि इसके लिए उन्होंने एक रजिस्टर बना रखा है। जिसमें पौधे प्राप्त करने वाले लाभार्थियों के नाम पते दर्ज है, बीच-बीच वे जाकर उन पौधों का हाल-चाल जानते हैं। लाभार्थियों के मन में भय रहता है कि पौधों की निगरानी के दौरान कहीं वह पकड़े न जाए।
डॉ हुसैन बताते हैं कि बचपन में माता-पिता से पैसे लेकर बांटने के लिए पौधे खरीदते थे, लेकिन अब तो अपनी कमाई का बहुत बड़ा हिस्सा इसी काम में लगा देते हैं। इससे उन्हें खुशी और आत्मसंतोष दोनो मिलता है साथ ही पर्यावरण संरक्षण का काम भी होता है। उन्होंने बताया कि जब कोई समाज के लिए कुछ अच्छा करना चाहता है, तो मदद के लिए हजारों हाथ आगे आते हैं। उन्होंने कहा कि जो पौधे आम लोगों को बाजार में 300 या 400 रुपए में मिलते हैं, उन्हें वह पौधा मात्र 7 रुपए में मिल जाता है। हालांकि यह भी सच है कि वे एक साथ हजारों पौधे खरीदते हैं। उनके इस नेक काम में उनकी मां फिरोज बानो और भाई-बहनों का भी साथ मिलता है। प्रकृति प्रेमी डॉ हुसैन का लोक कल्याण यह काम एक जन आंदोलन बनें , सबकी यही कामना है।
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