80 साल तक कोदो धान नहीं होता पुराना
रूबी सरकार
कटनी जिले से करीब 12 किलोमीटर दूर शहडोल के रास्ते मझगवां
में मिलेट प्रसंस्करण यूनिट के लोकार्पण के दौरान तहसील बहोरीबंद ग्राम पंचायत
पहरुआ निवासी सदा सिंह 40 वर्ष पुरानी 20
किलो कोदो लेकर पहुंचे थे,जिसकी इसी
प्रसंस्करण मशीन से दराई कर चावल निकाला गया। उन्होने कहावत सुनाकर बताया कि लकड़ी
मंे सरई सागौन और अन्न में राना मतलब कोदो 80 साल तक पुराना नहीं होता। कोदो के
फायदों के संबंध में बताया कि इसको खाने से शुगर की बीमारी नहीं होती, साथ ही शीत एवं
जुकाम की समस्या भी नहीं रहती है।
सदा सिंह गोंड आदिवासी किसान है। उसके
पास करीब 5 एकड़ कृषि भूमि है, जिसमें वह कोदो की खेती सदियों से
करता रहा है। सदा सिंह के पास बीज भी भरपूर है। जिसे वह समय-समय पर किसानों को
देता रहा है। अब चूंकि भारत सरकार मोटे अनाज की खेती को प्रोत्साहन देने लगा है, इसलिए सदा सिंह
खुशी से फूले नहीं समा रहा है। प्रसंस्करण के लोकार्पण के लिए पहुंचे कलेक्टर अभि
प्रसाद ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष के रूप
में मनाया जा रहा है। मोटे अनाज वाली फसलों जैसे ज्वार, बाजरा, रागी, सावा, कोदो, कुटकी आदि को मिलेट
क्रॉप कहा जाता है। इनमें अधिक पोषक तत्व होने की वजह से इन्हे इन्हे सुपर फूड
माना जाता है। वहीं मानव जीवन विकास समिति के सचिव निर्भय सिंह ने कहा कि इस
प्रसंस्करण यूनिट से क्षेत्रीय किसानों को अपने उत्पादों का प्रसंस्करण करने की
सुविधा मिलेगी और वे अपने उत्पादों का बाजार में उचित मूल्य पर विक्रय भी कर
सकेंगे इससे कटनी को एक नई पहचान मिलेगी।
दरअसल ढाई लाख रुपए की यह प्रसंस्करण
मषीन कृषि से सम्बद्ध आत्मा विभाग ने मिलेट अभियान को बढ़ावा देने के लिए मुफ्त
में उपलब्ध करवाया है, जिससे कोदो की दराई में किसानों को कोई परेशानी न हो। मानव जीवन
विकास समिति के सचिव निर्भय सिंह ने बताया कि इस साल करीब 100 किसानों को उत्पादन
के लिए कोदो का बीज दिया गया था,
जिसमें करीब 60 फीसदी से अधिक
किसान कोदो की खेती में सफल रहे। निर्भय सिंह ने बताया कि ढाई किलो कोदो की दराई
के बाद करीब एक किलो चावल निकलता है। इसलिए छोटे किसानों के लिए यह महंगा सौदा है।
यह देख आत्मा विभाग ने मुफ्त में प्रसंस्करण मशीन उपलब्ध करवाया है , इतना ही नहीं,इसकी पैकेजिंग की
व्यवस्था मानव जीवन विकास समिति और बाजार तक चावल पहुंचाने के लिए बेंगलुरु की
एनएक्सथ्रीएफ कंपनी से मुफ्त में इलेक्ट्रिक ऑटो उपलब्ध करवाया है। यह कंपनी रसायन
मुक्त खेती करने वाले किसानों को बढ़ावा देता है। इस तरह किसानों को कोदो का
प्रसंस्करण, पैकेजिंग और बाजार तक इसे पहुंचाने का वाहन सब कुछ मुफ्त में मिल
रहा है, जिससे किसानों पर आर्थिक बोझ कम हो रहा है।
निर्भय सिंह बताते हैं कि इस साल मोटे
अनाज को बढ़ावा देने के लिए मानव जीवन विकास समिति ने कटनी जिले के भीमरखेड़ा, तेंदूखेड़ा, जबेरा और बड़वारा
विकास खंडों के 1200 किसानों को मुफ्त कोदो बीज उपलब्ध करवा कर दो हजार एकड़ में
कोदो की खेती करने का लक्ष्य रखा है। इसमें कृषि विभाग व कृषि विज्ञान
केंद्र का सहयोग रहेगा। कृषि विभाग 200 किसानों को तो कृषि विज्ञान केंद्र 5 किसानों को मुफ्त
में बीज देने का आश्वासन दिया है। 700 किसानों के पास बीज पहले से ही उपलब्ध
है, शेष बचे किसानों को मानव जीवन विकास समिति बीज देकर सहयोग करने का
संकल्प लिया है। निर्भय ने बताया पहले बाजार में कोदो चावल की कीमत 20 से 25 रुपए प्रति किलो
रहा, अब यह बढ़कर 30
से 35 रुपए प्रति किलो हो गया है। उन्होंने
कहा कि मोटे अनाज के लिए हमारी समिति युद्धस्तर पर काम कर रही है और इसमें सभी का
सहयोग भी मिल रहा है। क्योंकि किसानों के लिए अभी भी मोटे अनाज की खेती बहुत महंगा
है, वे इसी तरफ तभी जाएंगे जब उन्हें बाजार में भाव मिलने लगेगा। समिति
अब धीरे-धीरे मध्यमवर्गीय लोगों तक कोदो चावल आसानी से पहुंचाने दिशा में काम कर
रहा है। जलवायु की परिस्थितियों में मोटे अनाज के पोषण और स्वास्थ्य लाभ एवं खेती
के लिए उपयुक्तता के बारे में जागरूकता और बढ़ाना है।
गौरतलब है कि कोदो एक प्राचीन औषधीय
मोटा अनाज है, इसके औषधीय गुणों के कारण ही इसे सुपर फूड, शुगर फ्री चावल, ऋषि अन्न, अकाल भोजन नामों से
पुकारा जाता है। करीब 3000 हजार साल पहले से यह भारत के विभिन्न भागों में उगाया जाता
रहा है। लेकिन धीरे-धीरे किसान रसायन युक्त खेती की तरफ बढ़ने लगे और यह औषधीय
मोटा अनाज लोगों की थाली से बाहर होता चला गया
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