सरपंच सुनीता साकेत ने हिम्मत दिखाकर खत्म किया दबंगों का एकाधिकार
Ruby Sarkar
ग्राम पंचायत पिपरा की अनुसूचित जाति महिला सीट पर सरपंच निर्वाचित होने वाली सुनीता साकेत की सबसे बड़ी ताकत मुख्यमंत्री का दिया हुआ वचन है, जिसमें उन्होंने महिला सरपंचों को निडर होकर गांव में काम करने को कहा है । महिला नेतृत्व कार्यशाला में भाग लेने के बाद वह यह जान गई थी, कि हिम्मत से पंचायत के संसाधनों पर दबंगों का एकाधिकार खत्म किया जा सकता है। पिपरा के लोग यह मानने लगे है, कि सुनीता के सरपंच रहते हुए उनके हकों पर कोई भी अतिक्रमण नहीं कर सकता । लोगों को यह भरोसा उस घटना से हुआ, जिसमें सरपंच ने पंचायत के ट््रेक्टर को दबंग लोगों के कब्जे से छुड़ाकर उसे पेयजल वितरण के काम में लगाया गया । मध्यप्रदेश के रीवा जिले की यह पंचायत जनपद पंचायत सिरमौर में शामिल है ।
इस पंचायत में पीने के पानी का संकट बहुत गंभीर रहा है । गांव के आसपास कोई ऐसा जलस्रोत उपलब्ध नहीं है, जिससे ग्राम वासियों की पानी की सभी जरूरतें पूरी की जा सके । इसलिए टैंकर से पानी लाकर पंचायत में वितरण करने के लिए पंचायत द्वारा एक ट्रैक्टर खरीदा गया था, किन्तु यहाँ के उप सरपंच ने कुछ पुरुष पंचों की मदद से इस ट्रैक्टर को अपने घर रखवा लिया और वह उसे अपने निजी काम करने लगा । पेयजल संकट के समय भी उसने पंचायत को ट्रैक्टर देने से इंकार कर दिया ।
जब सरपंच ने उप सरपंच के घर में जाकर ट्रैक्टर लौटाने के लिए कहा, तो उसने सरपंच के साथ अभद्र व्यवहार किया । इस घटना के बाद सरपंच ने हिम्मत नहीं हारी और उसने ट्रेक्टर को उपसरपंच के कब्जे से बाहर निकालकर ग्रामवासियों के पेयजल की सुविधा उपलब्ध कराने के उपाय तलाशने शुरू किए। इसके लिए सरपंच ने महिला पंचों तथा अन्य ग्रामवासियों से भी चर्चा की । इसके बाद सरपंच द्वारा तय किया गया, कि उस ट्रैक्टर को दूसरे ट्रैक्टर से बांधकर पंचायत में लाया जाए।
इस तरह सरपंच सुनीता पूरे साहस के साथ एक ट्रैक्टर लेकर उप सरपंच के यहां पहुॅची और वहां खड़े ट्रैक्टर में बांध कर पंचायत भवन में खींच लाई । इस पर उपसरपंच को गुस्सा तो आया, परंतु सरपंच की हिम्मत को देखकर वह ट्रैक्टर ले जाने से नहीं रोक पाया ।
जब उपसरपंच ने ट्रैक्टर का मुद्दा उठाया, तो सरपंच सुनीता ने साफ कर दिया, कि यह ट्रैक्टर पंचायत का है और पंचायत में ही रहेगा । यदि आपने इसे ले जाने की कोशिष की तो मैं पुलिस थाने में एफआईआर लिखवाऊंगी और कानूनी कार्रवाई करूंगी । सरपंच की यह बात सुनकर उपसरपंच ने चुप रहना ही उचित समझा ।क्योंकि एक बार पहले भी इस प्रकार की एक घटना घटित हो चुकी थी, जिसमें सचिव से आय -व्यय का ब्यौरा मांगने पर उसने सरपंच के साथ मारपीट की थी, जिसके कारण सचिव को जेल जाना पड़ा था ।
सरपंच सुनीता साकेत के इस साहस को देखकर दबंग डर गए और आज इस ट्रैक्टर से पूरी पंचायत में पानी वितरण हो रहा है । इसके अलावा भी अन्य अनेक कार्यों चाहे भवन निर्माण हो चाहे गांव की व्यवस्थाओं से संबंधित कोई भी कार्य, सरपंच सुनीता निडर होकर अपनी पूरी सक्रियता से अपनी जिम्मेदारी निभा रही हैं।
ग्राम पंचायत पिपरा की अनुसूचित जाति महिला सीट पर सरपंच निर्वाचित होने वाली सुनीता साकेत की सबसे बड़ी ताकत मुख्यमंत्री का दिया हुआ वचन है, जिसमें उन्होंने महिला सरपंचों को निडर होकर गांव में काम करने को कहा है । महिला नेतृत्व कार्यशाला में भाग लेने के बाद वह यह जान गई थी, कि हिम्मत से पंचायत के संसाधनों पर दबंगों का एकाधिकार खत्म किया जा सकता है। पिपरा के लोग यह मानने लगे है, कि सुनीता के सरपंच रहते हुए उनके हकों पर कोई भी अतिक्रमण नहीं कर सकता । लोगों को यह भरोसा उस घटना से हुआ, जिसमें सरपंच ने पंचायत के ट््रेक्टर को दबंग लोगों के कब्जे से छुड़ाकर उसे पेयजल वितरण के काम में लगाया गया । मध्यप्रदेश के रीवा जिले की यह पंचायत जनपद पंचायत सिरमौर में शामिल है ।
इस पंचायत में पीने के पानी का संकट बहुत गंभीर रहा है । गांव के आसपास कोई ऐसा जलस्रोत उपलब्ध नहीं है, जिससे ग्राम वासियों की पानी की सभी जरूरतें पूरी की जा सके । इसलिए टैंकर से पानी लाकर पंचायत में वितरण करने के लिए पंचायत द्वारा एक ट्रैक्टर खरीदा गया था, किन्तु यहाँ के उप सरपंच ने कुछ पुरुष पंचों की मदद से इस ट्रैक्टर को अपने घर रखवा लिया और वह उसे अपने निजी काम करने लगा । पेयजल संकट के समय भी उसने पंचायत को ट्रैक्टर देने से इंकार कर दिया ।
जब सरपंच ने उप सरपंच के घर में जाकर ट्रैक्टर लौटाने के लिए कहा, तो उसने सरपंच के साथ अभद्र व्यवहार किया । इस घटना के बाद सरपंच ने हिम्मत नहीं हारी और उसने ट्रेक्टर को उपसरपंच के कब्जे से बाहर निकालकर ग्रामवासियों के पेयजल की सुविधा उपलब्ध कराने के उपाय तलाशने शुरू किए। इसके लिए सरपंच ने महिला पंचों तथा अन्य ग्रामवासियों से भी चर्चा की । इसके बाद सरपंच द्वारा तय किया गया, कि उस ट्रैक्टर को दूसरे ट्रैक्टर से बांधकर पंचायत में लाया जाए।
इस तरह सरपंच सुनीता पूरे साहस के साथ एक ट्रैक्टर लेकर उप सरपंच के यहां पहुॅची और वहां खड़े ट्रैक्टर में बांध कर पंचायत भवन में खींच लाई । इस पर उपसरपंच को गुस्सा तो आया, परंतु सरपंच की हिम्मत को देखकर वह ट्रैक्टर ले जाने से नहीं रोक पाया ।
जब उपसरपंच ने ट्रैक्टर का मुद्दा उठाया, तो सरपंच सुनीता ने साफ कर दिया, कि यह ट्रैक्टर पंचायत का है और पंचायत में ही रहेगा । यदि आपने इसे ले जाने की कोशिष की तो मैं पुलिस थाने में एफआईआर लिखवाऊंगी और कानूनी कार्रवाई करूंगी । सरपंच की यह बात सुनकर उपसरपंच ने चुप रहना ही उचित समझा ।क्योंकि एक बार पहले भी इस प्रकार की एक घटना घटित हो चुकी थी, जिसमें सचिव से आय -व्यय का ब्यौरा मांगने पर उसने सरपंच के साथ मारपीट की थी, जिसके कारण सचिव को जेल जाना पड़ा था ।
सरपंच सुनीता साकेत के इस साहस को देखकर दबंग डर गए और आज इस ट्रैक्टर से पूरी पंचायत में पानी वितरण हो रहा है । इसके अलावा भी अन्य अनेक कार्यों चाहे भवन निर्माण हो चाहे गांव की व्यवस्थाओं से संबंधित कोई भी कार्य, सरपंच सुनीता निडर होकर अपनी पूरी सक्रियता से अपनी जिम्मेदारी निभा रही हैं।
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