Saturday, June 10, 2023

जब श्यामू बाई ने खुद की शादी शून्य करवाया

Nov 2016 

जब श्यामू बाई ने खुद की शादी शून्य करवाया

 मिला अवंतीबाई सम्मान
Ruby Sarkar

मध्यप्रदेश के  लाडो अभियान ने न जाने कितने बच्चों का बचपन बचाया है। इसके प्रचार-प्रसार के चलते  बालिकाएं जागरूक होने लगी है। अब नाबालिग खुद पहल कर बाल विवाह जैसी  कुरीति को समाप्त करने की दिशा में बढ़ रही है।  इस अभियान से कम उम्र में हो रही शादी को रोकने में काफी सहायता मिल रही है। प्रदेष के 51 जिले में लगभग 41 लाख संवेदनशील  नागरिक इस अभियान से सीधे जुड़ चुके हैं। 4 लाख, 82 हजार इस अभियान के सक्रिय सदस्य हैं, जो बाल विवाह रोकने में मददगार हैं। एक हजार, 550 बच्चियां इस अभियान के ब्रांड एम्बेसडर हैं। इन्हीं सक्रिय सदस्यों की वजह से बाल विवाह में 12 फीसदी की कमी आई है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के वर्ष 2012-13 में जहां 42 फीसदी नाबालिगों की शादी दर्ज की गई थी, वहीं 2015-16 में यह घटकर मात्र 30 फीसदी रह गई है। इन सबके पीछे इस अभियान के सक्रिय सदस्यों की महती भूमिका है। इन्हीं  में  से एक सक्रिय सदस्य आगर जिले की ढोटी गांव की श्यामू   बाई   । श्यामू की उम्र आज भले ही  21 साल हो, लेकिन जब वह मात्र  16 साल की थी, तब उसकी शादी  उसके पिता गंगाराम ने कर दी थी। चंचल स्वभाव की श्यामू ने इसका विरोध किया था, क्योंकि वह पढ़-लिख कर कुछ बनना चाहती थी। पर पिता को समाज का डर था और जवान बेटी की सुरक्षा का सवाल भी उनके सामने मुॅह बाये खड़ी थी। गांव में आज भी अमूमन माता-पिता असुरक्षा के डर से कम उम्र में बेटियों की ष्षादी कर देते हैं। गंगाराम को भी यही डर सताता था, लेकिन श्यामू तो बहादुर लड़की  थी। उसने पिता से कह दिया, लोकलाज के लिए भले ही शादी अभी कर दो, लेकिन ससुराल वह तभी जायेगी, जब ससुराल वाले उसे पढ़ने-लिखने की इजाजत देंगे। इधर शादी के बाद ससुराल वाले उसकी पढ़ाई जारी रखने को तैयार नहीं थे । श्यामू भी कहां पीछे हटने वाली, वह पढ़ाई छोड़ने को तैयार नहीं थी। जब बात नहीं बनी, तोे उसने ससुराल जाने से साफ इनकार कर दिया। इस पर काफी हंगामा खड़ा हो गया। गांव वाले तरह-तरह की बातें करने लगे।  लेकिन श्यामू टस से मस नहीं हुई । उल्टे महिला बाल विकास विभाग से संपर्क साधा। उसने रेडियो, एफएम, टेलीविजन, अखबार सब जगह लाडो अभियान का विज्ञापन देखा और सुना था, सो  सेक्टर पर्यवेक्षक मीना गोयण से मिली और अपनी आपबीती सुनाई। उन्होंने सलाह दिया, कि वह बाल विवाह अधिनियम 2006 के नियम 2007 के अंतर्गत अपनी शादी को शून्य घोषित करवा सकती है । श्यामू परिवार के खिलाफ जाकर अपनी शादी शून्य घोषित करवाने के लिए महिला सशक्तीकरण अधिकारी के पास अर्जी दी। अधिकारी ने श्यामू बाई को सलाह दिया, कि वह अभिभाषक के माध्यम से  न्यायालय में बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम की धारा-3 (1) के तहत शून्य घोषित कराने के लिए अपील प्रस्तुत करे। श्यामू ने ऐसा ही किया। उसने न्यायालय से अपील की और काफी जद्दोजहद और हंगामे के बाद फरवरी, 2014 को विवाह शून्य घोषित करवाया। श्यामू अब  नेहरू शासकीय महाद्यिालय आगर में बी.ए. की पढ़ाई कर रही है। अपने हौसले के पीछे वह  मुख्यमंत्री मामाजी का आर्शीवाद मानती है। वह कहती है, कि जब वह सर पर रखकर आर्शीवाद देते हैं, तो ताकत अपने आप आ जाती है। उसकी इस उपलब्धि के लिए महिला बाल विकास विभाग ने उसे सुपोषण अभियान अंतर्गत ग्राम ढोटी में सहयोगिनी के रूप में चयन किया गया है। श्यामू  का संघर्ष और जीवटता को देखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने  उसे अपने हाथों से 2015 का रानी अवंती बाई पुरस्कार से सम्मानित किया है। श्यामू अब लाडो अभियान की एक तरह से ब्रांड बन गई है। बाहर से आगर आने वाला हर व्यक्ति उससे मिलना चाहता है। उसकी गाथा  आस-पास के गांवों में भी फैल चुकी है। अब उसके गांव तो क्या आस-पास के गांव वाले भी नाबालिग बेटियों को ब्याहने से डरते हैं। उन्हें पता है, अगर यह बात श्यामू तक पहुँची, को अदालत के चक्कर काटने पड़ जायेंगे। श्यामू पढ़ाई पूरी कर प्रशासनिक अधिकारी बनना चाहती है।  

No comments:

Post a Comment