Tuesday, June 13, 2023

प्रोफेसर की नौकरी छोड़ शुरू किया डेयरी उत्पाद





 प्रोफेसर की नौकरी छोड़ शुरू किया डेयरी उत्पाद

रूबी सरकार
हिंदू रीति-रिवाज में गौ पालन का बड़ा महत्व है। गाय से डेरी  प्रोडक्ट तो मिलता ही साथ ही पंचगव्य से कई बीमारियों का इलाज भी आयुर्वेद में बताया गया है। यहां तक कि चाहे तो गाय के गोबर से आर्टिजन भी बना सकते हैं। गोबर में मां लक्ष्मी का वास होता हैइसलिए शुभ काम में देवी-देवता के स्थान को गाय के गोबर से लीपा जाता है। प्लास्टिक पर रोक के चलते देवी देवताओं की गोबर से बनी मूतिर्यों की मांग भी बढ़ी है। इस बार इसमें एक कड़ी और जुड़ गई अब राखी भी गोबर से बनाई जाने लगी है।

 भोपाल के दो युवा फार्मासिस्ट प्रो सुनील चतुर्वेदी और असिस्टेंट प्रोफेसर अनुज सिंघई नौकरी छोड़कर शुद्ध खान-पान और सेहत को ध्यान में रखते हुए गौ पालन का व्यवसाय शुरू कियाजिससे जैविक खेती के लिए खाद के अलावा डेयरी प्रोडक्ट और अब तो आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को जोड़कर उनकी सहायता से गोबर से सुंदर आर्टिजन भी बनाने लगे हैं। दोनों ने अपने नौ एकड़ जमीन पर खेती के साथ-साथ डेयरी और आयुर्वेद दवा बनाने का काम शुरू किया है। इनके पास 50 अच्छे किस्म की गाय है। जिसके लिए उत्तम हरी घास की व्यवस्था भी इन लोगों ने अपने परिसर में कर रखी हैजिससे दूध के साथ ही गोबर की गुणवत्ता भी बनीं रहे 

दरअसल प्राकृतिक जीवन पद्धति पर आधारित जीवन जीने वाले सुनील और अनुज ने यह व्यवसाय वर्ष 2019 में शुरू किया डॉ सुनील बताते हैंकि  हमने ऐसे करीब 17 चरणों की परिकल्पना  की है। अभी हम अपने तीसरे चरण पर है। हमारी परिकल्पना शुरू होती है पशुपालन से कृषि पर निर्भरता कम करने से दूसरी सीढ़ी पर हमें अच्छी दूध क्षमता की गाय कम समय में तैयार करनी थीजो हमने यहां संभव कर दिखाया इसके अलावा दूध न देने वाली गाय से भी अन्य स्रोतों से लाभ कमाया जा सकता है इसकी शुरुआत की और इसे सफल बनाया । इसी के तहत हमने गोबर शिल्पपंचगव्य उत्पाद और गौ पर्यटन शुरू किया।जो काफी चर्चित हो रहा है।

उन्होंने कहा कि  भारतीय गायें जो पशुपालनडेरी उद्योग  का अहम हिस्सा हैं। परंतु अपने जीवनकाल के बहुत कम हिस्से में गाय दूध देती हैं और वह भी कम मात्रा में । परिणामस्वरूप गाय सड़क पर घूमतीभूखी प्यासी,बीमार मिल जाती है।  हम इसी समस्या में व्यवसाय और रोजगार की संभावना तलाशते हैं।यानी दूध के अलावा या दूध देने की क्षमता खत्म होने के बाद भी गाय से लाभ की आशा की जा सकती है। यही आशा की एक किरण है जो छुट्टा गाय से लेकर गौ हत्या तक की समस्या का निदान के रूप् में हम प्रस्तुत करते हैं।

मुख्यतः हमारी कंपनी सजैविको एक सेवा प्रदाता हैं जो पुरानी खत्म हो चुकी लाभदायक तकनीक या सेवा को पुनः स्थापित करते हैंउसमें जरूरत के अनुसार सुधार करते हैं और नई तकनीक बनाने की कोशिश करते हैंजहां ऐसा करना जरूरी होता है।


आर्टिजन पर मांडना और गोंड पेंटिंग
इसी गोबर से गणेश की मूर्तिदीयेराखी और शो-पीस,पेन सेट आदि कई कलाकृति आर्डर पर उनके फार्महाउस में बनाए जा रहे हैं । इन कलाकृतियों को और आकर्षक बनाने के लिए इसमें सफेद चूने अरारोटफेविकोल या फिर प्राकृतिक गोंद से मांडना गोंड आदिवासी पेंटिंग की  जा रही है। ताकि गोबर की महत्ता को देखते हुए त्योहारों में इसकी बंपर बिक्री हो सके । हालांकि प्रो चतुर्वेदी बताते हैं कि ऑनलाइन काफी आर्डर मिल चुके हैं। इसके अलावा अनंत मंडी के साथ अन्य मेलों में भी इसके प्रमोशन के लिए स्टॉल लगाए जा रहे हैं।
गोबर की कलाकृति बनाने में अनुज की पत्नी पलक जैन मुख्य भूमिका निभाती हैं। वह कहती हैं कि इस काम में आस-पास की कम पढ़ी-लिखी लेकिन हुनरमंद महिलाओं को जोड़ा गया है, जिससे उन्हें रोजगार मिल सके। ये सारी कलाकृतियों में प्राकृतिक चीजों का ही इस्तेमाल होता है। किसी भी तरह की केमिकल का इस्तेमाल नहीं होता है।    
पूरी तरह इको फ्रेंडली है कलाकृति शुद्ध गोबर से बनाई जा रही हैजो पूरी तरह इको फ्रेंडली है और तत्काल मिट्टी में मिलकर खाद बन जाता है। आमतौर पर मिट्टी और गोबर में पंच तत्वों का वास माना जाता है । गोबर से बनी गणेश की मूर्तियों को  हिन्दू धर्म में काफी गंभीरता से लिया जाता है। 

24 JULY]2022, Amrit Sandesh Raipur






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