Sunday, June 11, 2023

पंच लच्छुड़ीबाई गांव की महिलाओं को दिलाई पेंशन

 पंच   लच्छुड़ीबाई  गांव की महिलाओं को दिलाई पेंशन

Ruby Sarkar

झाबुआ जिले की ग्राम पंचायत कालीघाटी की आदिवासी समुदाय की 33 वर्षीय लच्छुड़ीबाई ने यह साबित किया है, कि पंच के पद पर रह कर भी पंचायत और अपने वार्ड का बेहतर नेतृत्व किया जा सकता है । लच्छू पढ़ना-लिखना नहीं जानती , किन्तु उसकी सूझबूझ और सक्रियता ने इस कमी को कभी भी महसूस नहीं होने दिया । पेंशन से वंचित रहीं महिलाओं को पेंशन दिलवाने तथा पंचायत को उत्तरदायी बनाने में उसने सफलता हासिल की।
दरअसल लच्छुड़ी ने यह साबित किया कि जब पंचायत ठीक से काम न करें, तो उसे कैसे उत्तरदायी बनाया जा सकता है। गांव की जिन महिलाओं को तमाम कोशिशों के बावजूद पेंशन नहीं मिल रही थी, वे पेंशन के लिए पंचायत सचिव और सरपंच के चक्कर लगाकर थक गई थी, उनकी पेंशन की लड़ाई पंच लच्छुड़ी बाई ने अपने हाथों में ले ली और उन्हें पेंशन का लाभ दिलवाने में सफलता हासिल की । लच्छुड़ी ग्राम काली घाटी की पंच है । यह ग्राम पंचायत जनपद पंचायत पेटलावद के अंतर्गत आता है । पंच लच्छुड़ी नियमित रूप से ग्राम सभा की बैठकों में जाती है और अपने वार्ड के मुद्दे रखती है । उसकी इसी सक्रियता को देखकर गांव के 4 बुजुर्ग महिलाएं उससे मिली और कहा, कि तमाम कोशिश और पंचायत के चक्कर काटने के बाद भी उन्हें पेंशन नहीं मिल रही है।
लच्छुड़ी ने पहले पेंशन के बारे में पूरी जानकारी हासिल की । क्षेत्र में सक्रिय संस्था कार्यकर्ताओं से भी पूछताछ की, जिससे पता चला कि मध्यप्रदेश लोक सेवाओं का प्रदाय गारंटी अधिनियम के अंतर्गत आवेदन देने के 60 दिनों के अंदर पेंशन शुरू हो जानी चाहिए । यदि ऐसा नहीं हुआ तो संबंधित अधिकारी को 250 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से 5000 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है ।
इस तरह पूरी जानकारी हासिल कर पंच ने 2 अक्टूबर की ग्राम सभा में पेंशन का मुद्दा उठाया । उसने ग्राम सभा में सचिव से कहा, कि यदि पेंशन की कार्रवाई वे नहीं कर सकते, तो ग्राम सभा का प्रस्ताव और उनके आवेदन की पावती उसे दे दें । वह जनपद से दो महीने के अंदर पेंशन स्वीकृत  करवा लेगी। लच्छुड़ी की चुनौती से सचिव घबरा गया, उसने सोचा अब इस मुद्दे को दबाया नहीं जा सकता । उसने दो दिनों में काम करने की गारंटी ली । इस तरह महिलाओं की पेंशन स्वीकृत हो गई और उन्हें नियमित पेंशन मिलने लगा। लच्छुड़ी ने पंच की भूमिका निभाते हुए पंचायत के काम में सफलता पाई। इसके साथ ही उसने पंचायत को लोगों के प्रति उत्तरदायी बनाने में भी कामयाबी हासिल की । 

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