Sunday, June 11, 2023

सरपंच सुशीला सिंह ने शुरू करवाई आंगनबाड़ी

 सरपंच  सुशीला   सिंह ने शुरू करवाई आंगनबाड़ी

Ruby Sarkar

शहडोल जिले की ग्राम पंचायत कनाडी कला की अनुसूचित जनजाति महिला सीट से सरपंच बनने वाली सुशीला सिंह ने 8वीं तक शिक्षा प्राप्त की । सुशीला पहली बार सरपंच बनीं। शुरुआत के एक वर्ष तक वह पंचायत के कामों को समझती और सीखती रहीं, किन्तु आगे चलकर उसने पंचायत के विकास के सपने बुने और उन्हें साकार करने की दिशा में सक्रिय हुईं। उसकी सबसे बड़ी उपलब्धि गांव की सार्वजनिक सेवाओं को चुस्त-दुरुस्त करना है, जिससे पंचायत के गरीब- वंचित लोगों को लाभ मिल सके। आंगनबाड़ी सेवा से वंचित अपनी पंचायत के एक गांव में उन्हें आंगनबाड़ी शुरू करवाने में सफलता मिली ।
शहडोल जिले की जनपद पंचायत जयसिंहनगर से जुड़ी ग्राम पंचायत कनाडी कला की सरपंच  सुशीला   सिंह ने पंचायत में अपनी मुख्य भूमिका निभाना शुरू किया, तो उसका ध्यान आंगनबाड़ी की तरफ गया । उसने देखा कि उसकी ग्राम पंचायत से जुड़े एक अन्य गांव गरियरा टोला में आंगनबाड़ी  नहीं है । इस दशा में वहां के बच्चे सरकार की पोषण की सुविधा से वंचित है । साथ ही वहां की गर्भवती महिलाओं को भी जरूरी पोषण  आहार एवं स्वास्थ्य सलाह नहीं मिल पाती । यह एक बहुत बड़ी समस्या थी, क्योंकि सभी जानते हैं कि कुपोषण रोकने के लिए सरकार की यह एक महत्वपूर्ण पहल है । केवल समग्र और व्यापक नजरिए के अभाव में सारी कोशिशें काफी हद तक नाकाम हो जाती है । इसलिए उसने यहां आंगनबाड़ी  शुरू करने की पहल की ।
ग्रियरा टोला गांव में आंगनबाड़ी शुरू करवाने के लिए सरपंच सुशीला ने ग्राम पंचायत एवं ग्रामसभा में लोगों से चर्चा की । इसके बाद उसने महिला एवं बाल विकास विीााग से यहां आंगनबाड़ी शुरू करने की मांग की । परंतु महिला बाल विकास विीााग ने यह कहते हुए आंगनबाड़ी खोलने से इंकार कर दिया कि वहां परिवारों की संख्या बहुत कम है और इतने कम परिवारों के बीच आंगनबाड़ी खोलना संभव नहीं है । इस पर सरपंच ने फिर से पंचायत की बैठक बुलाई और पंचों को महिला बाल विकास विभाग के इस जवाब से अवगत कराया । सभी पंचों ने कहा, कि सरकार का यह नियम सही नहीं है । क्योंकि बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण को संख्या के मानकों के आधार पर बाधित नहीं किया जा सकता । इसलिए यह तय किया गया कि फिर से महिला बाल विकास विभाग से चर्चा की जाए ।
सरपंच सुशीला ने फिर से महिला एवं बाल विकास विभाग अधिकारियों से चर्चा की और अपनी बैठक में हुई बातों के संबंध में बताया । उनकी बात सुनकर महिला बाल विकास अधिकारी ने कहा, कि आपके गांव में आंगनबाड़ी की पूरी सेवाएं उपलब्ध करवाई जाएगी जैसे- पोषण आहार, मध्यान्ह भोजन, गर्भवती महिलाओं के मिलने वाली सुविधाएं आदि । परंतु बच्चों की संख्या आंगनबाड़ी मानकों के अनुसार न होने के कारण आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की नियुक्ति संभव नहीं है । यानी पोषण आहार व मध्याह्न भोजन वितरण के लिए कार्यकर्ता की व्यवस्था ग्राम पंचायत को ही करनी होगी  । सरपंच सुषमा इसके लिए तैयार हो गई । इस तरह पोषण की यह सेवा गरियरा टोला के बच्चों को मिल रही है ।

सरपंच सुषमा ने अपनी पंचायत में और भी कई काम कराये । उसने स्कूल चलो अभियान के अंतर्गत पंचायत के प्रत्येक बालक-बालिका को शाला में भर्ती करवाया । साथ ही आजीविका संवर्धन से संबंधित योजनाओं का लाभ महिला समूहों को दिलवाया । वह स्कूल और आंगनबाड़ी का लगातार दौरा करती है और यह देखती है कि यहां सेवाएं बच्चों को किस तरह मिल रही है तथा इनमें क्या दिक्कते हैं । प्रायः यह देखा जाता है, कि समुदाय की निगरानी के अभाव में माताओं-बच्चों को अनिवार्य स्वास्थ्य और पोषण  संबंधी योजनाओं का लाभ ठीक से नहीं मिल पाता है । इस तरह सरपंच की देखरेख किए जाने से इन सेवाओं की गुणवत्ता में भी सुधार आया है । 

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