Sunday, June 11, 2023

सरपंच कन्या सिहं ने खुद की बस्ती की सफाई

 सरपंच कन्या सिहं ने खुद की बस्ती की सफाई

Ruby Sarkar


ग्राम पंचायत खाम्हा के आदिवासी बस्ती मे पानी की समस्या साथ-साथ गंदगी का आलम था। चारों ओर नालियों, मवेशियों एवं लोगो के घरो से निकली गंदगी का साम्राज्य था।  बस्ती की पगडंडी से चलना मुश्किल ही नही बदबू में सांस लेना भी दूभर था। सरपंच कन्या सिहं पंचायत के भ्रमण के दौरान जब बस्ती मे आती थी, तो लोगों को समझाती थी, कि अपने आस-पास साफ- सफाई रखें, लेकिन लोगों पर सरपंच की बात का कोई असर नहीं हुआ। इसी बस्ती में एक स्कूल और आंगनबाड़ी केन्द्र भी है, इसमें पढ़ाने वाले शिक्षकों और अन्य कार्यकर्ताओं को काफी परेशानी होती थी। इन लोगों ने कई बार सरपंच से इसकी शिकायत भी की। सरपंच ने बस्ती वालों को गंदगी से होने वाली बीमारियों के बारे बताया, कि किस तरह बच्चों के स्वास्थ्य पर इसका दुष्प्रभाव पडता है।  फिर भी उन्हें निराशा ही हाथ लगी। किसी ने सड़क पर गदंगी फेंकना बंद नहीं किया। लेकिन जब यही बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समझाने लगे, तो सबको समझ में आ गई।  सरपंच ने अपना काम समझ कर खुद सफाई करने सड़क पर उतरी और  लोगों से झाडू मांगा, तगाडा और फावडा मांगकर कचरा साफ करने लगी, तो सबकी आंखों नीची हो गई।  कुछ देर सरपंच को कचरा साफ करते देखते रहे, फिर अपने आप शर्मिदा होकर बस्ती वालों ने सरपंच के साथ हाथ बंटाने लगे। इस तरह सरपंच ने गांव के लोगों में सफाई की आदत डाली । सरपंच की इस सकारात्मक पहल और प्रधानमंत्री,मुख्यमंत्री की बातों का असर बस्ती वालों पर इतना गहरा पड़ा, कि आज पूरा गांव सफाई के लिए जाना जाता है । बस्ती को स्वच्छ बनाने में मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री के साथ-साथ सरपंच खुद सबकी प्रेरणास्रोत बन गईं।  आज स्वच्छता को लेकर लोग सजग है।

 बस्ती स्वच्छ होते ही सरपंच ने बस्ती वालों के लिए पेयजल की  व्यवस्था की । कई हैंडपंप लगवाए  और अब तो स्वच्छ भारत अभियान के तहत हर घर में शौचालय है। बस्ती में अब किसी को शौचालय इस्तेमाल की बातें बतानी नहीं पड़ती , बल्कि महिलाएं स्वयं आगे आकर गप्पी शौचालय को खारिज कर रही हैं ।
कन्या सिंह बताती हैं, कि अब पहले जैसी आरक्षित पद पर चुनकर आईं महिलाओं के खिलाफ धारा -40 के अंतर्गत अविश्वास प्रस्ताव के मामले सामने नहीं आते । पहले और दूसरे कार्यकाल में खासकर दलित और आदिवासी महिला सरपंचों के खिलाफ इसका खूब इस्तेमाल होता था। जातिगत रूप से कमजोर होने अनपढ़ महिला होने के नाते उनके पद का इस्तेमाल कोई और कर रहा होता , किन्तु पद पर होने के कारण आरोप की सजा उन्हें भुगतना पड़ती थी। इसलिए महिलाएं भी डरी रहती थी, लेकिन अब हिम्मत से काम करती हैं।   

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